चंडीगढ 04 अगस्त (वार्ता) केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को यहां कहा कि तीन नये आपराधिक कानून और आपराधिक न्याय प्रणाली 21वीं सदी का सबसे बड़ा सुधार साबित होगा।
श्री शाह ने एक कार्यक्रम में नए आपराधिक कानूनों के लिए ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई- समन ऐप का लोकार्पण किया। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
गृह मंत्री ने कहा कि यहां उपस्थित सभी लोग 21वीं सदी के सबसे बड़े सुधार के लागू होने के साक्षी बने हैं। उन्होंने कहा कि तीन नये कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) - में भारत की मिट्टी की सुगंध और न्याय के संस्कार हैं। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को न्याय देना संविधान का दायित्व है और संविधान की इस भावना को ज़मीन पर उतारने का माध्यम न्यायिक प्रणाली है।
श्री शाह ने कहा कि 150 साल पहले बने कानून प्रासंगिक नहीं रह सकते। आज के भारत और उस वक्त के शासकों के उद्देश्य और आज हमारे संविधान के उद्देश्यों में बहुत अंतर है लेकिन क्रियान्वयन की मशीनरी वही है। उन्होंने कहा कि वर्षों तक लोगों को न्याय नहीं मिलता था और तारीख पर तारीख मिलती थी। धीरे-धीरे लोगों का विश्वास सिस्टम पर से उठता जा रहा था। इसीलिए मोदी सरकार ने नय कानून बनाये हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में दंड का कोई प्रावधान नहीं है बल्कि इनका उद्देश्य लोगों को न्याय देना है इसीलिए ये दंड संहिता नहीं बल्कि न्याय संहिता है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद पूरी दुनिया में सबसे आधुनिक और तकनीक से युक्त आपराधिक न्याय प्रणाली भारत की होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए गृह मंत्रालय ने अनेक स्तरों पर प्रशिक्षण और कौशल विकास की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि इन्हें ज़मीन पर उतारने के लिए पूरे तंत्र की तकनीकी क्षमता बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि आज ई-साक्ष्य, ई- समन, न्याय सेतु और न्याय श्रुति ऐप का लोकार्पण हुआ है। उन्होंने कहा कि ई- साक्ष्य के तहत घटनास्थल की सभी वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी और गवाही ई- साक्ष्य सर्वर पर सेव की जाएगी, जो तुरंत ही कोर्ट में भी उपलब्ध होगी। ई-समन के तहत कोर्ट से पुलिस स्टेशन तक और जिसे समन भेजा जाना है उस तक भी इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजा जाएगा। न्याय सेतु डैशबोर्ड पर पुलिस, मेडिकल, फॉरेन्सिक, प्रॉसीक्यूशन और प्रिज़न एकसाथ इंटरलिंक्ड हैं, जिससे पुलिस को जांच से संबंधित सभी जानकारी मात्र एक क्लिक पर उपलब्ध होगी। न्याय श्रुति के माध्यम से न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाहों की सुनवाई कर सकेगा। इससे समय और पैसे की बचत होगी और मामले का निपटारा भी जल्दी हो सकेगा।
श्री शाह ने कहा कि नशे की लत के खिलाफ अभियान मात्र एक सरकारी अभियान नहीं है बल्कि ये नई पीढ़ी को नशे की लत से बाहर निकालने का अभियान है। उन्होंने कहा कि जो लोग नशे की गिरफ्त में हैं उनकी और उनके परिवारजनों की हीनभावना दूर कर हमें इस बीमारी का इलाज करना चाहिए और इसके प्रति जागरुकता फैलानी चाहिए।
श्री शाह ने कहा कि तीनों नए कानून और इनके माध्यम से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली 21वीं सदी का सबसे बड़ा सुधार है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में तकनीक को इस प्रकार से शामिल किया गया है कि आने वाले 50 साल तक ईजाद होने वाली सारी तकनीक को इसमें समाहित कर लिया गया है।
संजीव.संजय
वार्ता