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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी


सुनामी के पूर्वानुमान के लिये विकसित हुआ नया तरीका

नयी दिल्ली 25 मई (वार्ता) भूगर्भशास्त्रियों ने सुनामी के पूर्वानुमान के लिये एक नयी गणितीय विधि विकसित की है जो आने वाले दिनों में तटीय शहरों को सुनामी की पूर्व-चेतावनी देने में सक्षम होगा। अभी सुनामी चेतावनी प्रणाली विशेष क्षेत्र में पहले आ चुके सुनामियों के ढर्रे पर निर्भर करती है। आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने समुद्री सेंसरों से ऐन मौके पर आंकड़े जमा करने तथा सुनामी के निर्माण के समय के स्वरूप को समझने में इसका इस्तेमाल करने के लिए ‘टाइम रिवर्स इमेजिंग मेथड’ विकसित किया है। अभी वैज्ञानिक समुद्र की असामान्य गतिविधियों का पता करने के लिए सेंसरों का इस्तेमाल करते हैं पर इससे यह मालूम नहीं हो पाता है कि समुद्री लहरें कितनी ताकत से और कितनी मात्रा में तटों पर पहुँचने वाली है। ऐसी स्थिति में यदि सुनामी पूर्वानुमान के अनुकूल नहीं रही तो यह जान-माल को काफी नुकसान पहुँचा सकती है। विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्री जान डेट्टमर ने कहा, “टाइम रिवर्स इमेजिंग मेथड किसी अनुमान पर आधारित नहीं होकर ऐन मौके पर प्राप्त आंकड़े पर निर्भर करता है। यह तरीका अनुमान की सटीकता को बढ़ाएगा।” श्री डेट्टमर एकॉस्टिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका की 23 से 27 मई के बीच साल्ट लेक सिटी में होनेवाली 171वीं बैठक में अपने सहयोगियों के साथ इस नयी विधि के बारे में बात करेंगे। सोनू. सुभाष. मनीषा जारी वार्ता

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