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ग्राफीन का विकल्प ढूंढ रहे वैज्ञानिक

दरभंगा 17 नवंबर (वार्ता) वैज्ञानिक प्रो. पी. के. झा ने नैनो प्रौद्योगिकी के महत्व का उल्लेख करते हुये आज बताया कि अर्द्धचालक नहीं होने के कारण वैज्ञानिक ग्राफीन का विकल्प तलाश रहे हैं।
एम. एस. विश्वविद्यालय बड़ोदा (गुजरात) के प्रसिद्ध वैज्ञानिक श्री झा ने यहां एम. एल. एस. एम. कॉलेज में ‘बायोकन्जूगेटेड नैनो स्ट्रक्चर’ विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुये कहा कि ग्राफीन कार्बन का एक नैनो रूप है। इसमें बहुत सारी खूबियां है एवं वह उपयोग भी हैं, लेकिन इसका दोष है कि यह अर्द्धचालक नहीं है। इसलिए, इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता है। आजकल वैज्ञानिक ग्राफीन से भी अधिक उपयोगी नैनो पदार्थ बना रहे है। इसी कड़ी मे बोरॉन नाईट्राइड नैनोकण बनाया गया, जो बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है।
श्री झा ने बताया कि जैविक पदार्थों का अकार्बनिक नैनोकण के साथ संयोग से बनने वाला पदार्थ बायोकन्जूगेटेड नैनोकण कहलाता है। यह पदार्थ बहुत ही चमत्कारी है। आज के दिनो मे नैनो मेडिसीन के क्षेत्र में इसका काफी उपयोग रहा है। उन्होने कह कि नैनो विज्ञान एवं तकनीक तेजी से आगे बढ़ा है क्याेंकि इससे वैज्ञानिक सिद्धांतों की व्याख्या सम्भव हो सकी है। विज्ञान के हर क्षेत्र भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, अभियंत्रण, चिकित्सा, कृषि में इसका उपयोग हो रहा हैं।
सं सूरज रमेश
जारी (वार्ता)
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