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भ्रष्टाचार लोकतांत्रिक व्यवस्था को ध्वस्त करने को आतुर

दरभंगा 08 दिसंबर (वार्ता) प्रख्यात राजनीतिक चिंतक डाॅ. जितेन्द्र नारायण ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था विश्व की सर्वोत्तम शासन पद्धति मानी गई है लेकिन भ्रष्टाचार रूपी छुआछूत इसे ध्वस्त करने को आतुर है।
डॉ. नारायण ने यहां ललित नारायण मिश्रा विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर राजनीतिक शास्त्र विभाग एवं स्वयंसेवी संस्थान प्रभात दास फाउंडेशन के तत्वाधान में ‘लोकतंत्र, लोकसेवक और भ्रष्टाचार’ विषय पर अयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुये कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था विश्व की सर्वोत्तम शासन पद्धति मानी गई है लेकिन भ्रष्टाचार रूपी छुआछूत इसे ध्वस्त करने को आतुर है। वस्तुतः भ्रष्ट लोगों को राज्य में रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार ऐसा घुन है, जो पूरी व्यवस्था को खा जाता है।
उन्होंने कहा कि आचार्य चाणक्य ने स्पष्ट कहा है कि भ्रष्टाचार को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है। जैसे पानी में रहनेवाली मछली कब दो-चार घूंट पानी पी जाती है इसका पता नहीं लगता उसी तरह से व्यवस्था में संलग्न अधिकारी-कर्मचारी कब भ्रष्ट आचरण करने लगते है उसका पता नहीं चलता है। आचार्य चाणक्य ने इसे कम करने का मार्ग सुझाते हुए खुफिया प्रणाली को मजबूत बनाने पर बल दिया है।
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डाॅ. सी. पी. सिंह ने कहा कि विकास होगा तो भ्रष्टाचार होगा, यह समस्या विश्व के हर देश में विद्यमान है। लेकिन, भारत में यह कुछ अधिक है इसलिए चर्चा का विषय बना हुआ है। लोकसेवकों के लिए कोड आॅफ कंडक्ट बने हुए हैं लेकिन जबसे इस्पेक्टर राज आया तबसे भ्रष्टाचार में बढ़ोत्तरी हुई है। कहा तो यह भी जाता है कि भ्रष्टाचार की गंगोत्री ऊपर से नीचे की ओर बहती है और इससे ही पूरी व्यवस्था प्रभावित होती है।
सं सूरज रमेश
जारी (वार्ता)
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