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राज्य » बिहार / झारखण्ड


रालोसपा अध्यक्ष ने कहा कि बड़े ही दुख की बात है कि केंद्र सरकार से बिहार में दो केंद्रीय विद्यालय खोले जाने की अनुमति मिलने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से जमीन आवंटित नहीं की गई। यदि जमीन का आवंटन कर दिया गया होता तो नवादा और औरंगाबाद के केंद्रीय विद्यालय में भी छात्रों के नामांकन के साथ ही पढ़ायी शुरू कर दी गयी होती। इन दोनों विद्यालयों के लिये जमीन हस्तांतरण किए जाने का मामला पिछले चार माह से राज्य सरकार के पास पड़ा हुआ है और इसके चलते केंद्रीय विद्यालय नहीं खोला जा सका है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि राज्य सरकार केंद्रीय विद्यालय को जमीन दिये जाने के मामले को जानबूझ कर राजनीतिक दाव पेंच में फंसा कर रख रही है। जमीन हस्तांतरण के मामले में सरकार बहानेबाजी कर रही है। उन्होंने कहा कि चयनित जमीन के हस्तांतरण के लिये राज्य सरकार शर्त रख रही है कि इन विद्यालयों में 75 प्रतिशत बिहार के बच्चों का नामांकन हो। बिहार के सभी 48 केंद्रीय विद्यालयों में बिहार के बच्चों के नामांकन का प्रतिशत लगभग 94 है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसे में राज्य सरकार की इस शर्त का क्या मतलब है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैसे भी इस तरह की शर्त को मानने का मतलब है कि दूसरे राज्य भी इसी तरह की बात कर सकते हैं। इससे बिहार के बच्चों को सीधा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा ही साफ नहीं है और वह सिर्फ बहाना बनाने में लगी हुयी है। पार्टी ने जो शिक्षा में सुधार करने का संकल्प लिया है उसे हर हाल में पूरा करके रहेगी।
उल्लेखनीय है कि औरंगाबाद में प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय के लिये जमीन आवंटित किये जाने की मांग को लेकर कल भी श्री कुशवाहा उपवास पर बैठे थे ।
उपाध्याय सूरज
रमेश
वार्ता
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