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बेटी की डोली उठाने का सपना लेकर गये ‘संजय’ नहीं लौटे

पटना 16 फरवरी (वार्ता) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान संजय कुमार सिन्हा अभी एक सप्ताह पूर्व ही तो बेटी की डोली उठाने का सपना संजाेये हजारो मील दूर छुट्टी से वापस गये थे लेकिन उन्हें कहां पता था कि सपना पूरा करने से पहले ही मातृभूमि बलिदान मांग लेगी।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुये बिहार में पटना जिले के मसौढ़ी के तारेगनाडीह के संजय कुमार सिन्हा के पार्थिव शरीर फतुहा के त्रिवेणीघाट पर ‘शहीद संजय अमर रहे, भारत माता की जय, शहीदों की शहादत का बदला लेकर रहेंगे, इंडियन आर्मी जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के गगनभेदी नारे के बीच पंचतत्व में विलीन तो हो गया लेकिन एक पिता का सपना और बेटी की उम्मीद पूरी होते-होते रह गई।
शहीद अपनी बड़ी बेटी रूबी की शादी की तैयारी कर रहे थे और एक सप्ताह पूर्व अपनी छुट्टी पूरी कर वह इस उम्मीद से ड्यूटी पर लौटे थे कि जल्द ही बेटी की डोली सजाएंगे। आज जब उनका पार्थिव शरीर तारेगनाडीह स्थित उनके पैतृक आवास पहुंचा तो जहां उनके पिता, पत्नी, भाई और अन्य रोते-रोते पाकिस्तान से बदला लेने की मांग कर रहे थे वहीं उनकी दोनों बेटियां रूबी और टोनी नि:शब्द होकर केवल रोये जा रही थीं।
कहते हैं बेटियों के जज्बात शब्दों में उतरने में समय लेते हैं और जब उतरते हैं तो जरिया पिता होता है। शायद इसलिए बेटियों की अभिव्यक्ति का नाम ही तो ‘पिता’ है। दुख के पहाड़ टूटे इस परिवार में आज बाप ने अपना बेटा खोया, पत्नी ने पति खोया, भाई ने भाई खोया और बेटे ने बाप को खोया लेकिन बेटियों ने तो अपनी अभिव्यक्ति ही खो दी।
सूरज शिवा
जारी (वार्ता)
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