पटना 24 मार्च (वार्ता) बिहार में इस वर्ष के लोकसभा चुनावी समर में बिहार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने पिछले चुनाव (2014) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पराजित योद्धाओं पर दांव नहीं लगाया और जीत के इरादे से इन सीटों की कमान जनता दल यूनाईटेड (जदयू) को सौंप दी है।
सोलहवें लोकसभा चुनाव (2014) में भाजपा ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के साथ गठजोड़ कर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा ने 30, लोजपा ने सात, और रोलसपा ने तीन सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किये थे। इनमे से भाजपा ने 22, लोजपा ने छह और रालोसपा ने तीन सीट पर विजय पताका फहराई थी। इस चुनाव में भाजपा को आठ सीटों बांका, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया, सुपौल और मधेपुरा सीट पर पराजय का सामना करना पड़ा था। वर्ष 2019 के आम चुनाव में बिहार राजग में भाजपा, जदयू और लोजपा शामिल है। सीट बंटवारे के तहत भाजपा 17, जदयू 17 और लोजपा छह सीट पर चुनाव लड़ने जा रही है। भाजपा ने इस बार के चुनाव में पिछले चुनाव आठ हारी हुई सीटो में अररिया को छोड़कर सात की कमान अपने सहयोगी दल जदयू को सौंप दी है।
बांका सीट पर अबतक हुये चुनाव में भाजपा को कभी सफलता नही मिली है। इस लोकसभा सीट पर कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ चुके हैं। बांका से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर सिंह, उनकी पत्नी मनोरमा सिंह, समाजवादी नेता मधु लिमये, जार्ज फर्नांडीस, भारतीय जनसंघ के बी. एस. शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह, उनकी पत्नी पुतुल कुमारी ने भाग्य आजमा चुके हैं। वर्ष 1957 में अस्तित्व में आया यह संसदीय क्षेत्र समाजवादियों का गढ़ रहा है।
बांका की पहली सांसद कांग्रेस की शकुंतला देवी बनी थी। वर्ष 1998,1999 और 2009 में दिग्विजय सिंह ने बांका लोकसभा का नेतृत्व किया। बांका संसदीय सीट पर पिछले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी जयप्रकाश नारायाण यादव ने भाजपा उम्मीदवार पुतुल कुमारी को शिकस्त दी थी। जदयू ने पिछली बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। भाकपा उम्मीदवार संजय कुमार इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे। 17वें लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यह सीट जदयू को दी है। इससे पूर्व पुतुल कुमारी ने वर्ष 2010 में हुये उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी।
जदयू के खाते में बांका सीट जाने से नाराज चल रहीं पुतुल कुमारी ने इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि परिस्थितियां उन्हें कड़ा फैसले लेने को मजबूर कर रही हैं। वह भाजपा का साथ नहीं छोड़ रही हैं। वह चुनाव में जीत दर्ज करेंगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को मजबूत करेंगी। वह 25 मार्च को अपना नामांकन दाखिल करेंगी। उनके इस निर्णय से संभवतः राजग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि जदयू की टिकट पर बांका के बेलहर विधानसभा से वर्तमान विधायक गिरधारी यादव इस बार के चुनावी समर में ताल ठोकते नजर आएंगे। इस सीट पर इससे पूर्व वह जनता दल की टिकट पर वर्ष 1996 के चुनाव में जीत हासिल करने में सफल रहे थे।
प्रेम सूरज
जारी (वार्ता)