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संस्कृति की रक्षा के लिए भाषा एवं लिपि का संरक्षण करें : कुलपति

दरभंगा, 13 मई (वार्ता) बिहार के प्रतिष्ठित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डा. सुरेंद्र कुमार सिंह ने संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए आज कहा कि किसी भी क्षेत्र की संस्कृति को वहां की भाषा और लिपि की स्थिति से समझा जा सकता है।
डा. सिंह ने स्थानीय एमएमटीएम कॉलेज सभागार में आयोजित श्रीसीता पूजनोत्सव सह मैथिली दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भाषा और लिपि में अन्योनाश्रय संबंध है। मिथिला की सांस्कृति काफी उदात्त रही है। आवश्यकता है कि हम अपनी भाषा और लिपि को संरक्षित करें और इसके विकास की दिशा में आगे कदम बढ़ाएं।
मैथिली के विकास के लिए सभी को आगे आने की जरूरत है।
कुलपति ने मैथिली में छात्रों की घटती संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस दिशा में सार्थक पहल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मिथिलाक्षर पर केंद्रित संस्थानों की स्थापना विश्वविद्यालय में की जा रही है जिससे निश्चित तौर मैथिली के प्रति लोगों में फिर से आकर्षण बढ़ेगा।
मुख्य अतिथि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. देवनारायण झा ने विविध शास्त्र-पुराणों से उद्धरण देते हुए कहा कि सीता के अनेक अर्थ हैं। सीता का अर्थ है, जो हमारी रक्षा करें। इसके अलावा कृषि, कृषि यंत्र, गंगा की पूर्ववाहिनी धारा, खेत में हल से बनने वाले लकीर को भी सीता कहा जाता है। सीता राम की ह्लादिनी शक्ति हैं। सीता और राम में अभेद है। उन्होंने सीता के निर्भीक व वीरत्व भाव को भी रखा। उन्होंने भगवती को समस्त ब्रह्मांड की उत्पादिका शक्ति कहा। इस मौके पर पूर्व कुलपति उपेन्द्र झा, पूर्व कुलपति डा. रामचंद्र झा, पूर्व कुलपति डा. विद्याधर मिश्र ने भी अपने विचार रखे।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधान पार्षद डा. विनोद कुमार चौधरी ने राज्य सरकार की ओर से जानकी नवमी पर अवकाश दिए जाने तथा विद्यापति पर्व को राजकीय समारोह का दर्जा दिए जाने कि चर्चा करते हुए मैथिली में छात्रों की संख्या बढ़ाने का आग्रह सभी उपस्थित लोगों से किया।
सं.सतीश
वार्ता
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