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नियम पालन नहीं करने वाले खदानों एवं कारखानों के लाइसेंस होंगे रद्द

रांची 07 अगस्त (वार्ता) झारखंड सरकार ने सुरक्षा और बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ कड़ा रुख इख्तियार करते हुये आज कहा कि नियमों का पालन करने में कोताही बरतने वाले खदानों और कारखानों के लाइसेंस या लीज रद्द कर दिये जाएंगे।
मुख्य सचिव डॉ. डी. के. तिवारी ने यहां उच्चतम न्यायालय द्वारा झारखंड में सिलिकोसिस बीमारी की रोकथाम के लिए दिए गए दिशा निर्देश के आलोक में सभी संबंधित विभागों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में खदानों और कारखानों में नियम और कानून की कड़ाई से पालन पर बल देते हुए उसकी सतत निगरानी का निर्देश देते हुये खनन विभाग को निर्देश दिया कि जो नियम और कानून के पालन में कोताही बरतते हैं, उनके लीज या लाइसेंस रद्द कर दिये जायें।
डॉ. तिवारी ने कहा कि क्रशर उद्योग में सर्वाधिक धूलकण का प्रकोप रहता है। इस उद्योग में धूल को खत्म करने के लिए स्प्रिंगर से पानी का छिड़काव किया जाता है, जो अलग से कीचड़ उत्पन्न करता है तथा उत्पाद पर भी फर्क डालता है। इससे बचते हुए बिना पानी का नुकसान किए उन्होंने फॉगर मशीन से धूलकण खत्म करने का निर्देश दिया। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण विभाग को निर्देश दिया कि वह पांच-छह क्रशरों का कलस्टर बनाकर अनिवार्य रूप से फॉगर का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने पाकुड़, साहेबगंज और दुमका जिले में क्रशर से होने वाले सर्वाधिक प्रदूषण को नियंत्रित करने का निर्देश दिया।
मुख्य सचिव ने खनिजों के परिवहन के दौरान उसे ढंकने का निर्देश देते हुये कहा कि कोयला खनन कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) में इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाये। उन्होंने कहा कि बिना ढंके परिवहन से खनन क्षेत्र के बाहर के लोग भी प्रभावित होते हैं। वहीं, खनन स्थलों पर भी खनिजों और कारखानों में उत्पादन के दौरान छोटे और बड़े कणों के वातावरण में फैलने से रोकने के लिए जरूरी उपाय करने का निर्देश दिया।
सूरज
जारी (वार्ता)
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