राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Aug 21 2019 11:54PM जलकुंभी से जैविक खाद का होगा उत्पादनऔरंगाबाद 21 अगस्त (वार्ता) बिहार में औरंगाबाद जिला के अति नक्सल प्रभावित मदनपुर प्रखंड का खिरियावा गांव इन दिनों एक स्कूली छात्र के मिट्टी की उर्वरा शक्ति तथा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जलकुंभी से जैविक खाद बनाने पर किए गए एक प्रोजेक्ट को लेकर काफी चर्चा में है। बेरी गांव के सरकारी उच्च विद्यालय के 11वीं कक्षा के छात्र ऋतिक कुमार ने किसानों की चिंता काफी हद तक दूर करने में कामयाबी हासिल की है। ऋितिक ने बताया कि जलकुंभी सर्वसुलभ है। लगभग सभी गांव के तालाबों और नदियों में जलकुंभी दिख जाता है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर लोग जलकुंभी को बेकार समझते हैं लेकिन उसने एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया है जो जलकुंभी को जैविक खाद में बदलने की क्षमता रखता है। इससे न केवल खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी बल्कि उपज में भी वृद्धि होगी। साथ ही इसका उत्पादन अत्यंत कम खर्चे पर हो सकेगा। ऋतिक के इस शोध ने उसके गांव खिरियावां को देश प्रदेश में प्रतिष्ठा दिलाई है और उसके प्रोजेक्ट को प्रांतीय-राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। ऋतिक के इस प्रोजेक्ट को यदि सरकार प्रोत्साहित करें तो उसका शोध किसानों के लिए वरदान साबित होगा। गौरतलब है कि रासायनिक खाद के इस्तेमाल से कृषि योग्य भूमि की उर्वरा शक्ति और गुणवत्ता दिनोंदिन कम होती जा रही है। अथक परिश्रम के बावजूद कृषक अपने खेतों से आसान और उपज नहीं ले पा रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक किसानों को रासायनिक खाद की बजाय जैविक खाद के प्रयोग की सलाह देते हैं लेकिन जैविक खाद सर्वसुलभ नहीं है। सं सूरजवार्ता