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छात्रों को मिले गुणवत्तापूर्ण शिक्षा : कुलपति

दरभंगा, 28 अगस्त (वार्ता) ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए आज कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षण के उद्देश्यों को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है।
श्री सिंह ने यहां विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय द्वारा संचालित बैचलर ऑफ एजुकेशन (नियमित) के दो दिवसीय स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए साल 1996 में आई यूनेस्को की रिपोर्ट ‘लर्निंग द ट्रेजर विदीन’ की चर्चा की और उसके चार स्तंभों - लर्निंग टू नो, लर्निंग टू डू , लर्निंग टू लिव टुगेदर एवं लर्निंग टू बी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सीखना विषय वस्तु को जानना, उसका प्रयोग करना, एक-दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित करना तथा अपने-आप को समझना है । एक शिक्षक के लिए सही ज्ञान, सही कौशल एवं सही दृष्टिकोण की आवश्यकता है साथ ही इसका अनुप्रयोग आप किस प्रकार करते हैं यह महत्त्वपूर्ण है ।
कुलपति ने कहा कि अध्यापक शिक्षा के शिक्षकों के लिए यह और भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि आप अपने छात्र-अध्यापकों को जो सीखाएँगे वहीं वो शिक्षक के रूप में विद्यालय में करेंगे। गुणवत्तापूर्ण विद्यालयी शिक्षा के लिए अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम को गुणवत्तापूर्ण होना पहली आवश्यकता है । उन्होंने ख़ुशी जाहिर की कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं कुशल शिक्षक तैयार करने अग्रसर है ।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रो. उपेन्द्र नाथ वर्मा, सदस्य, बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने व्याख्यान के विषय ‘शिक्षा एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण की शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई थी । यह दृष्टिकोण सिर्फ विज्ञान विषय तक ही सीमित नहीं है बल्कि एक प्रक्रिया के रूप में अवलोकन, परीक्षण एवं निष्कर्ष को समाहित करते हुए यह व्यावहारिक जीवन का एक विशिष्ट दृष्टिकोण है ।
श्री वर्मा ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जब पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण किये हुए है, वैसी स्थिति में विज्ञान ही इसका समाधान है। स्वयं ही संतुलित दृष्टिकोण अपना कर हमारे संसाधनों का संतुलित दोहन करने की आवश्यकता है । पर्यावरणीय संसाधनों का वैज्ञानिक एवं अध्यात्मिक महत्त्व भी है । कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. सरदार अरविन्द सिंह , कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने भी अपने विचार रखे।
सं.सतीश सूरज
वार्ता
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