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मधुमक्खी पालन से बदल सकती है किसानों की किस्मत

औरंगाबाद, 31 अगस्त (वार्ता) बिहार के औरंगाबाद जिले में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्यान निदेशालय की ओर से दो दिवसीय मधु मेला का आयोजन किया गया जिसमें किसानों को मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन की तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक ज्ञानचंद ने आज यहां कहा कि जिले में मधुमक्खी पालन और मधु उत्पादन की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। यहां की जलवायु एवं अन्य संसाधन इसके लिए काफी उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन के लिए शुरुआती दौर में सिर्फ 10 बक्से चाहिए और यदि कोई किसान एक सौ बक्से से मधुमक्खी पालन की शुरुआत करता है तो उन्हें हर सीजन में लगभग चार लाख रुपये का लाभ होगा।
किसानों को प्रशिक्षित करते हुए मधुमक्खी पालन के विशेषज्ञ डॉ. रामाशीष सिंह ने कहा कि सरसों, सूरजमुखी, करेला, नीम एवं लीची आदि के फूलों के बीच मधुमक्खी पालन किया जा सकता है। बाजार के लिए औरंगाबाद में मधु प्रोसेसिंग यूनिट बनाए जाने की भी योजना है। औरंगाबाद, गया और रोहतास के आसपास के इलाकों में मधु का वाणिज्यिक उत्पादन नहीं होता है इसलिए यहां उत्पादकों के लिए काफी बाजार उपलब्ध है। यदि पूरी लगन से शहद का उत्पादन किया जाए तो किसानों को काफी मुनाफा हो सकता है।
मेला को जिला कृषि पदाधिकारी डॉ.राजेश प्रताप सिंह, कृषि वैज्ञानिक डॉ. नित्यानंद आत्मा के परियोजना निदेशक भरत सिंह ने भी संबोधित कियाl इस दो दिवसीय मेला और प्रशिक्षण कार्यक्रम में 264 किसानों ने शिरकत की।
सं.सतीश
वार्ता
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