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अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे के लिए होगा तंत्र विकसित

रांची 05 सितंबर (वार्ता) झारखंड सरकार ने आज कहा कि अदालतों में लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए शीघ्र ही तंत्र विकसित किया जाएगा।
मुख्य सचिव डॉ. डी. के. तिवारी ने अदालतों में लंबित मामलों तथा पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुपालन को लेकर यहां हुई समीक्षा बैठक में अदालतों में लंबित मामलों के ससमय निपटारा नहीं होने तथा उच्चाधिकारियों का इसमें बेवजह समय जाया होने पर चिंता प्रकट करते हुए मामलों के त्वरित निबटारा के लिए तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि सभी विभाग पहले इसकी पूरी पड़ताल कर लें कि उनके विभाग के कितने मामले अदालतों में हैं तथा उनकी स्थिति क्या है। उसी अनुरूप मामलों के निपटारे के लिए पहल करें। जरूरी हो तो अपील में जाएं या फिर 14 सितंबर को आयोजित हो रहे लोक अदालतों के माध्यम से उनका निबटारा सुनिश्चित करें।
डॉ. तिवारी ने निर्देश दिया कि मामले अदालत में ना जाये और जाएं भी तो कम से कम जाएं। इसे लेकर भी एक तंत्र विकसित करें। उन्होंने मामलों को न्यायालय में देखने वाले रिटेनर वकीलों का शुल्क 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये करने पर सहमति जतायी तथा निर्देश दिया कि केस की संख्या के अनुपात में वकील नियुक्त करें, लेकिन उनकी संख्या एक विभाग में किसी भी हाल में तीन से अधिक नहीं होगी। इसके लिए उन्होंने विधि विभाग को सर्कुलर निकालने का निर्देश दिया।
मुख्य सचिव ने न्यायालय में विचाराधीन मामलों की अद्यतन स्थिति से वाकिफ रहने और ससमय उसके निबटारा को लेकर सचिवों को निर्देश दिया कि वे इसी उद्देश्य से बनी उच्च न्यायालय की समिति के साथ सूचनाओं को साझा करें और उसी के अनुसार कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि एक ही प्रकृति के एक से अधिक मामलों को एक साथ जोड़कर उसका निष्पादन कराएं। वहीं, किसी मामले में अदालत के आदेश को उसी प्रकृति के अन्य मामलों में भी लागू करें।
सूरज
वार्ता
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