राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Sep 12 2019 7:22PM बूढ़ी मां की दुआ हुई कबूल, बांग्लदेश से अपने वतन लौटा सतीशदरभंगा, 12 सितम्बर (वार्ता) करीब एक दशक से बिहार में दरभंगा के एक छोटे से गांव में अपने बेटे के वापस आने का इंतजार कर रही एक बूढ़ी मां, पत्नी और भाई के लिए आज का दिन भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास काट कर अयोध्या लौटने जैसा है। पड़ोसी राष्ट्र बंग्लादेश के चौरंगी जेल में पिछले 11 साल से कैद बिहार के दरभंगा के गरीब परिवार का मानसिक रूप से बीमार सतीश चौधरी आज रिहा हो गया। इससे पहले बंग्लादेश की सरकार ने ढाका स्थित भारतीय उच्चायुक्त कार्यालय को सूचित किया था कि 12 सितंबर को दर्शना गेडे सीमा पर बार्डर गार्डस बंग्लादेश (बीजीबी) सतीश को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हवाले करेंगे। इससे संबंधित सूचना परिजनों को मिलने के बाद सतीश का भाई मुकेश चौधरी और मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर बांग्लादेश सीमा के लिये रवाना हो गये थे। बांग्लादेश जेल से रिहा होने के बाद सतीश चौधरी दर्शना-गेडे बार्डर से आज करीब साढ़े बारह बजे अपने वतन लौट आया। गौरतलब है कि साल 2008 में दरभंगा जिले में अशोक पेपर मिल थाना क्षेत्र के मनोरथा गांव निवासी और मानसिक रूप से बीमार सतीश चौधरी इलाज के लिये पटना आया था और फिर अचानक गायब हो गया। साल 2012 में जानकारी मिली कि सतीश बंग्लादेश के जेल में बंद है। भाई को छुड़ाने के लिये सतीश के छोटे भाई मुकेश चौधरी ने सालों साल प्रयास किये। इस क्रम में मुकेश ने वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी। मुकेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री डाॅ. एस जयशंकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई को पत्र लिखा जिसके बाद पूरा मामला प्रकाश में आया। सं.सतीश सूरजवार्ता