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मगध विवि में प्रधानाचार्य नियुक्ति घोटाले में सतर्कता की क्लोजर रिपोर्ट

पटना, 27 सितम्बर (वार्ता) बिहार के प्रतिष्ठित मगध विश्वविद्यालय के 25 महाविद्यालयों में प्रधानाचार्य की नियुक्ति में कथित रूप से बरती गई अनियमितता और नियमों के उल्लंघन के मामले में चार वर्षो के अनुसंधान के बाद राज्य सतर्कता अन्वेषण ब्यूरो ने आज अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी।

सर्तकता के विशेष न्यायाधीश मधुकर कुमार की अदालत में विशेष वाद संख्या-21/2015 में ब्यूरो ने अंतिम प्रपत्र दाखिल करते हुए इस मुकदमे में आगे किसी भी तरह की कार्रवाई की आवश्यकता नहीं बताते हुए मामले को बंद कर दिये जाने की प्रार्थना की है। अंतिम प्रपत्र में कहा गया है कि जांच के क्रम में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में एक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में सतर्कता अन्वेषण ब्यूरो ने एक प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। भारतीय दंड विधान, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और बिहार आरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के आरोपों के तहत यह प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। मामले में विश्वविद्यालय के 25 महाविद्यालयों प्रधानाचार्यों को अभियुक्त बनाया गया था। मामले में आरोप यह था कि रोस्टर नियमों की अवहेलना, आरक्षण के प्रावधानों का उल्लंघन कर मनमाने ढंग से प्रधानाचार्य के पदों पर नियुक्तियां की गयी।
सं.सतीश
वार्ता
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