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कई देशों के बौद्ध धर्म गुरुओं एवं लामाओं के बीच दिया गया कठिन चीवर दान

गया, 11 नवंबर (वार्ता) भगवान बुद्ध की पावन ज्ञानभूमि बोधगया स्थित लाओस देश के मोनेस्ट्री में आज कठिन चीवरदान समारोह का आयोजन किया गया।
लाओस मॉनेस्ट्री के प्रभारी भंते साईं साना ने बताया कि वर्षावास के बाद बौद्ध भिक्षुओं के बीच चीवरदान करने की परंपरा है। यही चीवर पहनकर बौद्ध भिक्षु पूरे साल प्रवचन एवं मेडिटेशन करते हैं। उन्होंने कहा कि चीवरदान बौद्ध भिक्षु के लिए काफी पवित्र परंपरा रही है। बौद्ध परंपरा के अनुसार, आज यहां विशेष रूप से पूजा की गई है और बौद्ध भिक्षुओं के बीच चीवरदान दिया गया।
समारोह के दौरान बौद्ध भिक्षुओं ने विशेष मोनेस्ट्री के प्रांगण में भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष विशेष पूजा अर्चना भी की। इस दौरान बौद्ध भिक्षुओं को कठिन चीवर (यानी कि बौद्ध भिक्षुओं को पहनने के लिए के लिए गेरुआ रंग का कपड़ा) दान स्वरूप दिया गया।
वहीं, लाओस मोनेस्ट्री के केयरटेकर संजय कुमार ने बताया कि कठिन चीवरदान समारोह में श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस सहित कई देशों के बौद्ध धर्मगुरु एवं लामा शामिल हुए। लगभग 150 देशों बौद्ध श्रद्धालुओं के बीच चीवरदान दिया गया है। उन्होंने कहा कि बौद्ध भिक्षु बरसात के मौसम में तीन माह तक एक ही जगह पर रहकर पूजा पाठ करते हैं। इस दौरान वे कहीं भी भ्रमण नहीं करते हैं। वर्षावास के बाद बौद्धों को चीवरदान देने की परंपरा रही है। इसी परंपरा का आज यहां निर्वहन किया गया।
सं.सतीश
वार्ता
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