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राज्य » बिहार / झारखण्ड


श्रमिक संगठनों की हड़ताल से झारखंड का कोयला उद्योग प्रभावित

रांची 08 जनवरी (वार्ता) श्रमिकों के लिए इक्कीस हजार रुपये न्यूनतम मजदूरी और 10 हजार रुपये पेंशन तय करने, एनपीएस के साथ ही श्रम कानून में मजदूर विरोधी संशोधन वापस लेने जैसी कई मांगों के समर्थन में ट्रेड यूनियनों की एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल से झारखंड का कोयला उद्योग प्रभावित हुआ है।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियक कांग्रेस (एटक), सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियंस (सीटू), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (एक्टू), ऑल इंडिया यूनाईटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आइयूटीयूसी), यूनाईटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) एवं ट्रेस यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंअर (टीयूसीसी) समेत अन्य संगठनों की एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल से देश की कोयला राजधानी धनबाद में कोयला खनन कंपनियों भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) की खदानों उत्पादन प्रभावित हुआ है।
हड़ताल को सफल बनाने के लिए श्रमिक संगठन से जुड़े मजदूर, कर्मचारी और नेता कोयला खदानों के बाहर काफी सक्रिय दिखे। खदानों में कोयले का खनन ताे हो रहा है लेकिन डिस्पैच नहीं होने के कारण रेलवे साइडिंगों पर सन्नाटा पसरा रहा। हड़ताल का बीसीसीएल के सीवी, ईजे, एरिया चार के सिजुआ और कतरासगढ़ के खदानों, पीबी एरिया में मिलजुला असर रहा लेकिन ईसीएल के मुग्मा क्षेत्र में अच्छा-खासा प्रभाव देखा गया।
वहीं, रामगढ़ जिले के विभिन्न कोयला खदानों में बंद का आंशिक असर देखा गया। इस क्षेत्र के कोयला खदानों में सामान्य दिनों की तरह उत्पादन का कार्य होता रहा। हालांकि पूरे प्रक्षेत्र में कोयले का डिस्पैच ठप रहा।
सूरज
जारी (वार्ता)
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