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अदालत ने हत्या के मामले में पुलिस की कार्यशैली पर की सख्त टिप्पणी

सुपौल, 11 जनवरी (वार्ता) बिहार में सुपौल जिले की एक सत्र अदालत ने करीब छह माह पूर्व हत्या के मामले में महिला समेत तीन निर्दोष को गिरफ्तार करने को लेकर जिला पुलिस की कार्यशैली पर सख्त टिप्पणी की है।
तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवि रंजन मिश्र की अदालत ने जिले के सुपौल थाना क्षेत्र निवासी सोनिया देवी की हत्या को लेकर दर्ज मामले में यह सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि जो व्यक्ति जीवित है उसके संदर्भ में अनुसंधानकर्ता ने उसके मृत्यु का आरोप पत्र न्यायालय में समर्पित कर दिया जो बिहार पुलिस एवं पुलिस प्रशासन के लिए बिल्कुल धब्बा है। पूरा मामला हास्यास्पद है और कानून के नजर में मजाक सा बन गया है।
अदालत ने आगे कहा कि इस पूरे मामले से प्रतीत होता है कि पुलिस जिस मामले में अनुसंधान करती है वह केवल टेबल रिपोर्ट होता है। इस पूरे मामले में महिला समेत अभियुक्त बनाये गये तीन निर्दोष लोग करीब पांच माह 15 दिन न्यायिक अभिरक्षा में रहे जिसे अवैध माना जाएगा।
अदालत ने आगे कहा कि मामले के अनुसंधानकर्ता के लापरवाही के कारण जो व्यक्ति जिंदा है उसके मृत्यु के संदर्भ में आरोप पत्र बिल्कुल त्रुटिपूर्ण लापरवाहीपूर्वक, अनुसंधानकर्ता के अयोग्यता, क्षमता, कर्तव्य के प्रति लापरवाही और उदासीनता का सूचक है। उन्होंने कहा कि यदि मृतक महिलासोनिया जिंदा है तो बरामद लाश किसकी है इसका अनुसंधान नहीं हो सका। अनुसंधानकर्ता की अयोग्यता के कारण एक मामला बिना प्राथमिकी, बिना अनुसंधान के स्वत: समाप्त हो गया जो पुलिस के लिए काला धब्बा और शर्म का विषय है।
अदालत ने मामले के अभियुक्त रंजीत पासवान, विष्णुदेव पासवान और गीता देवी को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए कहा कि मामले में पीड़ित पक्ष बिहार सरकार के अयोग्य एवं असक्षम अनुसंधानकर्ता के कारण अवैध अभिरक्षा में लंबे समय से जेल में रहा। अदालत ने जिला पुलिस को आदेश दिया है कि आरोपितों को कम से कम छह लाख रुपये की राशि अनुसंधानकर्ता के वेतन से काट कर दी जाये।
उल्लेखनीय है कि 26 मई 2018 को सुपौल थाना क्षेत्र में मूंग के खेत से एक अज्ञात महिला का शव बरामद किया गया था जिसकी पहचान सोनिया देवी के रूप में उसके परिजनों ने की थी । इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बाद में मृत महिला अदालत में उपस्थित होेकर स्वयं को जीवित बताया था।
सं.सतीश
वार्ता
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