राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Jan 15 2020 9:26PM मोदी-शाह का सीएए, एनआरसी और एनपीआर को अलग-अलग बताना सबसे बड़ा झूठ : मालेदरभंगा 15 जनवरी (वार्ता) भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर विपक्ष के भ्रम फैलाने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आरोप पर पलटवार करते हुए इन्हें पसंद का मतदाता और नागरिक चुनने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की परियोजना बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का इन तीनों को अलग-अलग बताना सबसे बड़ा झूठ है। सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ देश मे चल रहे आंदोलनों की प्रखर प्रवक्ता और भाकपा-माले पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी भी लोकतंत्र में जनता सरकार को चुनती है लेकिन सीएए, एनपीआर और एनआरसी की आरएसएस की परियोजना सरकार को नागरिक चुनने की आज़ादी दे देगी। यह लोकतांत्रिक देश मे सम्भव नही है और यह पूरी तरह से तानाशाही परियोजना है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी और श्री शाह झूठ बोल रहे हैं कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर तीनों अलग अलग हैं। यह सबसे बड़ा झूठ है। श्रीमती कृष्णन ने हुए कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर एकीकृत परियोजना है, जिसके जरिये मोदी सरकार अपनी पसंद का मतदाता और नागरिक चुनने का अधिकार हासिल करना चाहती है। जो व्यक्ति या परिवार मोदी सरकार के खांचे में फिट नहीं होगा उसे संदिग्ध नागरिकता की सूची में डाल दिया जाएगा। साथ ही निर्दयी और भ्रष्ट नौकरशाही को जनता की नागरिकता से खेलने का अधिकार मिल जाएगा। भाकपा-माले नेता ने कहा कि इस प्रक्रिया में खासकर दलित,गरीब और वंचित जमात के लोग प्रभावित होंगे। जिस तरह से उन्हें गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करने वालों की सूची, राशन कार्ड सूची से बाहर रखा जाता है, उसी तरह उन्हें नागरिकता से भी बाहर रखा जाएगा और फिर उनसे न केवल गुलामों की तरह काम लिया जाएगा बल्कि नागरिक अधिकारों से वंचित किया जाएगा। सं सूरजजारी (वार्ता)