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बिहार: राज्यपाल शिक्षा दो अंतिम छपरा

समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्द्रीय उच्च तिब्बती संस्थान, सारनाथ, वाराणसी के कुलपति पद्म श्री प्रो. गेशे नवांग सामतेनजी ने कहा कि बिहार की धरती प्राचीन काल से ही ज्ञान की धरती रही है। उन्होंने कहा कि प्राचीन नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय को आज भी पूरा विश्व नमन करता है।
श्री सामतेनजी कहा कि पूरे विश्व में विश्वविद्यालय की परिकल्पना प्राचीन बिहार की देन है। पश्चिमी सभ्यता में नालंदा की तर्ज पर 10वीं शताब्दी में बुल्गारिया में विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा कि आज तिब्बत में भी नालंदा का अस्तित्व है और लगभग 500 से ज्यादा ग्रंथों का अनुवाद तिब्बती भाषा में किया गया है।
कुलपति ने कहा कि वर्ष 1930 में राहुल सांकृत्यायन ने जब तिब्बत की यात्रा की थी तो उनके द्वारा उक्त सभी अभिलेख को वहां से लाने का काम किया गया था जो आज भी पटना के म्यूजियम में रखी हुई है। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों का आह्वान किया कि चूंकि प्राचीन काल से ही भारत और बिहार पूरे विश्व को प्रकाशित करने का कार्य करता रहा है इसलिए आप भी अपने ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म से पूरे विश्व को प्रकाशित करें। उन्होंने छात्रों से मन के अंदर के आंतरिक शांति से आतंकवाद की समाप्ति के संकल्प लेने की अपील की।
सं.उमेश.सूरज
वार्ता
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