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विद्यापति के श्रृंगारिक रचनाओं के नायक-नायिका समाज को पढ़ाते हैं मर्यादा का पाठ

दरभंगा, 21 जनवरी (वार्ता) मैथिली के प्रसिद्ध विद्वान एवं लेखक डाॅ. शांतिनाथ सिंह ठाकुर ने मैथिली भाषा के विकास में महाकवि विद्यापति की श्रृंगारिक रचनाओं के जबरदस्त योगदान का उल्लेख करते हुए आज बताया कि महाकवि की श्रृंगारिक रचनाओं में मर्यादा का उल्लंघन कभी नहीं हुआ इसलिए उनके नायक-नायिका समाज को मर्यादा का पाठ पढ़ाते नजर आते हैं।
डॉ. ठाकुर ने स्वयंसेवी संस्था डाॅ. प्रभात दास फाउंडेशन एवं नागेन्द्र झा महिला महाविद्यालय के मैथिली विभाग के तत्वावधान में आयोजित ‘विद्यापतिक रचनाओं में श्रृंगार रस’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यापति ने श्रंगारिक रचनाओं में संयोग एवं वियोग दोनों ही पक्षों का उत्कृष्ट और अनुपम वर्णन किया है। उनका श्रृंगार वर्णन मानवीय जीवन के अत्यधिक निकट है। उनकी रचनाएं पढ़कर आज भी लोग झूम उठते है और नाचने लगते हैं। अपनी श्रृंगारिक रचनाओं में उन्होंने कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया है और उनके नायक-नायिका समाज को मर्यादा का पाठ पढ़ाते है। इसलिए विद्यापति केवल श्रृंगार रस के ही कवि नहीं हैं। उनके साहित्य में भक्ति, व्यावहारिक एवं श्रृंगार का अद्भूत मिलन मौजूद है।
लेखक ने कहा कि मैथिली के कवि होते हुए भी पूरे भारत में विद्यापति की रचनाएं पढ़ी जाती है। उन्हें अपना कवि कहने के लिए तीन-तीन भाषाओं में छीना-झपटी चल रही है, लेकिन वस्तुतः वह मैथिली के कवि है। शृंगारिक गीत विद्यापति ने विशेष परिस्थितियों में लिखे हैं, जो उनकी प्रसिद्धि का आधार है और इसका अनुकरण अन्य कवियों ने भी किया है।
सं सूरज
जारी (वार्ता)
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19 Apr 2024 | 9:10 PM

पटना 19 अप्रैल (वार्ता) बिहार में प्रथम चरण की चार लोकसभा सीट गया (सु), औरंगाबाद, नवादा और जमुई (सु) में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए मतदान में लगभग 48.23 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट कर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी समेत 38 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला आज इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में लॉक कर दिया।

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