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भारत का बहुभाषी-बहुसंस्कृति होना बनाता है उदार राष्ट्र : कुलपति

दरभंगा 23 जनवरी (वार्ता) बिहार में दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेंद्र कुमार सिंह ने आज कहा कि भारत एक बहुभाषा-भाषी और बहुसंस्कृति वाला देश है और यही विशेषता उसे दुनिया में एक विशिष्ट और उदार राष्ट्र बनाता है।
डॉ. सिंह ने यहां विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा संस्थान ओर से ‘लर्न फ्रेंच इन फन वे’ विषयक कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद कहा कि भारत एक बहुभाषा-भाषी और बहुसंस्कृति वाला देश है और यही विशेषता उसे दुनिया में एक विशिष्ट और उदार राष्ट्र बनाता है। उन्होंने कहा कि एक से अधिक भाषाएं बोलने से हमारा दिमाग ऊर्जावान बना रहता है। एक से अधिक भाषाएं जानने वाले मेघावी होते हैं।
कुलपति ने कहा कि वैश्वीकरण की दौड़ में भारतीय भाषाओं के अलावा विश्व की अन्य भाषा का ज्ञान उन्हें और भी समृद्ध बनाता है। ये उनके ज्ञान और रोजगार के अवसरो को भी बढ़ाता है। इस तरह की कार्यशाला से हमारे बच्चे देश-विदेश की गतिविधि एवं कार्यप्रणाली से परिचित हो सकेंगे और अपना शैक्षणिक स्तर सुधार सकते हैं।
कार्यक्रम में आधार पुरुष फ्रेंच इम्बैसी, कोलकाता से आए आधार पुरुष सौरभ भौमिक और मदाम सोलबेग ओबेजेते भी सम्मिलित हुए। इस अवसर पर सौरभ भौमिक ने कहा कि बच्चों को कई भाषाओं का एक साथ सीखना किसी प्रकार की समस्या नहीं है तथा बहुभाषी समाज में भाषाई विविधता एक सिरदर्द नहीं बल्कि एक संसाधन है। बहुभाषी की क्षमताओं एवं संभावनाओं को जितनी जल्दी समझ लिया जाए उतना ही श्रेयसकर होगा। उन्होंने भारतीय छात्रों को फ्रांस में मिलने वाली विशेष रियायत का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
संस्थान की निदेशक डॉ. प्रतिभा गुप्ता ने कहा कि फ़्रेंच भाषा से यहां के बच्चे पूरी तरह अनजान है इसीलिए इस तरह की कार्यशाला से विद्यार्थियों को बहुत लाभ मिलेगा। भारत सहित विश्व के अधिकांश देशों में बहुभाषी विद्यार्थी आदर्श हैं। एक से अधिक भाषा का ज्ञान के संज्ञात्मक और व्यावहारिक लाभ के कई शोध और प्रमाण हैं। इस तरह का ज्ञान अध्यापक और शिक्षण का अद्भुत साधन है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों में फ्रेंच भाषियों की मांग अधिक हैं और इसी जरूरत को पूरा करने के लिए विद्यार्थियों को इसका महत्व बताया गया।
सं सूरज
वार्ता
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