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पश्चिम के वैज्ञानिकों ने भारतीय विज्ञान से ली प्रेरणा : डॉ.सिन्हा

दरभंगा, 12 फरवरी (वार्ता) प्रख्यात इतिहासकार एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. जे.एन. सिन्हा ने प्राचीन भारतीय विज्ञान के महत्व को रेखांकित करते हुए आज कहा कि अल्बर्ट आइंस्टीन समेत कई बड़े वैज्ञानिकों ने प्राचीन भारतीय विज्ञान से प्रेरणा ली है।
श्री सिन्हा ने यहां “भारत में विज्ञानः इतिहास के आईने में” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा कि भारतीय फिलॉसफी उसी तरह से साइंस है, जैसे आइंस्टीन की थ्योरी। प्राचीन भारतीयों ने प्रकृति पर शोध कर अनेक वैज्ञानिकों ने अविष्कार किये। मार्डन साइंस की उम्र तीन-चार सौ वर्षो की है लेकिन इससे पूर्व भी विज्ञान था और भारत इसका केन्द्र रहा है। भवन-निर्माण, धातु-विज्ञान, वस्त्र-निर्माण के साथ-साथ ज्योतिष, रसायन, खगोल, चिकित्सा आदि के क्षेत्रों में प्राचीन भारत अग्रणी था, लेकिन अंग्रेजों ने जंगली करार देकर अपने-आपको श्रेष्ठ साबित किया और भारतीय विज्ञान को ध्वस्त कर दिया।
इतिहासकार ने कहा कि मिथिला वैज्ञानिक ज्ञान का केंद्र रहा है और न्याय की वैज्ञानिक स्थापना काल से ही यह विश्व पटल पर उभर गया था लेकिन आधुनिक समय में भारत के विज्ञान के साथ मिथिला के ज्ञान की उपेक्षा हुई। इस क्षेत्र में शोध की जरूरत है। विशेष कर मिथिला के कल्चर पर पीएचडी, एम.फिल जैसे कार्य होंगे तो यहां की प्राचीनतम वैज्ञानिक पद्धतियां उजागर होगी।
पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्मा ने कहा कि भारतीय ज्ञान पूर्णरूपेण वैज्ञानिक रहा है और पश्चिमी जगत ने इसे हाथों-हाथ लिया, पर इसका श्रेय भारत को नहीं दिया। मैटेरियल साइंस विश्व को भारत की देन है। जिन्होंने इंडियन फिलासफी का अध्ययन गहराई से किया है वे जानते है कि आधुनिक विज्ञान की जड़े इसी में छुपी हुई है।
संगोष्ठी को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह, कुलसचिव कर्नल निशिथ कुमार राय समेत अन्य लोगों ने संबोधित किया।
सं.सतीश
वार्ता
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