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बिहार में मनरेगा बना वरदान, प्रतिदिन 2.70 लाख लोगों को दे रहा रोजगार

आरा 17 मई (वार्ता) कोरोना महामारी में काम-धंधा ठप होने के बाद बड़ी संख्या में वापस लौटे प्रवासियों के लिए बिहार में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना वरदान बन गई और वह प्रतिदिन औसतन दो लाख 70 हजार मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करा रही है।
वित्त वर्ष 2020-21 के 45 दिनों में इस योजना के तहत करीब सवा सात लाख जॉब कार्डधारी परिवारों ने सवा करोड़ मानव दिवस का सृजन किया है। इस दौरान बिहार के 38 जिलों में कुल 1455 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है यानी राज्य के प्रति जिला औसतन 38.28 करोड़ तथा प्रति प्रखंड औसतन पौने तीन करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है जबकि 42 करोड़ बकाया है। चालू वित्त वर्ष के 45 दिनों में खर्च की गई राशि पिछले वित वर्ष 2019-20 में हुए कुल भुगतान 3740 करोड़ रुपए का 43 प्रतिशत है।
कोरोना के कारण बिहार आए मजदूरों तथा राज्य में निमार्ण एवं सेवा संस्थानों की बंदी से मनरेगा की ओर मजदूरों का आकर्षण बढ़ा है। सरकार के इच्छुक मजदूरों को रोजगार देने के निर्देश से रोजगार का रफ्तार बढ़ गई है। बिहार में 52.85 लाख सक्रिय जॉब कार्डधारी परिवार एवं 61.07 लाख सक्रिय मजदूर हैं। वर्तमान में जारी योजनाओं की संख्या 40570 है। केन्द्र सरकार द्वारा मनरेगा के तहत बिहार को प्रथम किस्त 1785 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस मद में उपलब्ध कुल 1863 करोड़ रुपये में से 78.09 प्रतिशत रुपए 45 दिनों में खर्च हो गए।
चालू वित्त वर्ष में 16.22 लाख परिवारों ने रोजगार की मांग की, जिनमें से 15.92 लाख परिवारों को रोजगार की पेशकश की गई लेकिन मात्र 7.26 लाख परिवारों ने मजदूरी की। सर्वाधिक 3.61 लाख मजदूरों ने मात्र एक से 14 दिन काम किए हैं। 15 से 30 दिन काम करने वाले परिवारों की सख्या 3.29 लाख है। अभी सर्वाधिक रोजगार 80 से 99 दिनों तक मजदूरी करने वाले परिवारों की संख्या मात्र 107 है।
सं सूरज
जारी (वार्ता)
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