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अधिक बारिश से मूंग की फसल बर्बाद

सुपौल 20 जून (वार्ता) अधिक बारिश एवं कीड़े के प्रकोप से बिहार के सुपौल जिले की नकदी फसल कहा जाने वाला मूंग पूरी तरह से नष्ट हो गया है।
जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार मिश्र ने माना कि इस वर्ष 05 से 07 मई के बीच हुई बारिश से मूंग की फसल को भारी क्षति हुई है। इस फसल की क्षतिपूर्ति के लिए सरकार को 23356 आवेदन प्राप्त हुए है। उन्होंने बताया कि पुनः हुई अतिवृष्टि से मूंग फसल की क्षतिपूर्ति के लिए किसानों से आवेदन लेने की तिथि एक बार और घोषित करने का जिला पदाधिकारी के माध्यम से सरकार से अनुरोध किया गया है।
गेहूं की फसल कटाई और तैयारी के बाद किसान अपने खेतों में जिले में एकमात्र दलहन मूंग की खेती करते हैं, जिससे वे दाल के मामले में आत्मनिर्भर होते हैं और इससे उन्हें अच्छी आय भी होती है। मूंग की खेती में अन्य फसलों के मुकाबले लागत भी कम लगती है। इस फसल के लिए न तो खाद और न ही पटवन की अधिक जरूरत पड़ती है। अप्रैल और मई महीने अक्सर आंधी के साथ होने वाली हल्की बारिश इस फसल के लिए वरदान मानी जाती है। इस फसल के लिए कड़ाके की धूप फायदेमंद होती है।
इस बार प्रकृति ने किसानों का साथ नहीं दिया। मूंग की बुवाई के बाद से ही मौसम का मिजाज बदलना शुरू हो गया। महज कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर ही जिले में कमोबेश बारिश होती रही, जिससें मूंग की फसल को नुकसान होता रहा। अधिक बारिश होने से इस फसल के पौधे सामान्य से अधिक बड़े होते चले गए, जिसे इस क्षेत्र पौधों को होसा जाना कहते हैं, जिसका पैदावार पर असर पड़ता है। किसान बारिश की मार झेल ही रहे थे कि मूंग पर कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया, जिसे देखकर किसान चकित रह गए। कीड़ों के प्रकोप से बचाने के लिए किसानों ने कीटनाशक का छिड़काव भी किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
वहीं, किसानों का आरोप है कि पंचायत के किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक फसल क्षति के लिए आवेदन करने की सूचना नहीं देते है, जिसके कारण किसान सरकारी अनुदान से वंचित रह जाते हैं। साथ ही फसल क्षति का आकलन सही तरीके से नहीं हो पाता है।
सं सूरज शिवा
वार्ता
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