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अधिग्रहित भूमि का मुआवजा देने में केंद्र विफल रहता है तो अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे : हेमंत

दुमका, 15 सितंबर (वार्ता) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) की ओर से राज्य में अधिग्रहण की गई भूमि का मुआवजा देने में यदि केन्द्र सरकार विफल रहती है तो उनकी सरकार अदालत का दरवाजा खटखटाएगी।
श्री सोरेन ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केंद्र पर 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये के बीच बकाया है। झारखंड सरकार नियमित रूप से पीएसयू द्वारा अधिग्रहित की भूमि के लिए मुआवजे की मांग करती रही है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो न्यायालय से दरवाजा खटखटाने में संकोच नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर मुआवजे के सवाल को केन्द्र के समक्ष रखे जाने के बाद पहली केन्द्रीय कोयला मंत्री ने 250 करोड़ रुपये राज्य को उपलब्ध कराया। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अलावा अन्य मदों से झारखंड समेत राज्यों को उसका वाजिब हिस्सा नहीं दिया जा रहा। इसको लेकर राज्य सरकार लगातार केन्द्र सरकार से मांग कर रही है।
श्री सोरेन ने कहा कि वर्तमान समय को अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण बताया और कहा कि यह अर्थव्यवस्था नौजवानों, मजदूरों और किसानों को रोजगार देने वाली नहीं बल्कि गंवाने वाली बन गयी है। इससे बावजूद राज्य सरकार केन्द्र से अपने हक की मांग करने के साथ अपने आंतरिक संसाधनों को मजबूत बनाने का लगातार प्रयास कर रही है जिससे युवाओं, नौजवानों को रोजगार मुहैया कराया जा सके।
इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने दुमका जिले के सड़कों की जर्जर स्थिति के पूर्व की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार को जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने मसानजोर डैम से बायां तटबंध निर्माण के संबंध में पूछने पर बताया कि उनके संज्ञान में यह मामला लाया गया है। इस दिशा में भी सरकार द्वारा आवश्यक पहल की जायेगी। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की वरिष्ठ नेता और जामा की विधायक सीता सोरेन द्वारा उनके साथ पार्टी में साजिश किये जाने के संबंध में कहा कि यह पार्टी का मामला है। पार्टी के भीतर ही इस तरह की समस्या का समाधान कर लिया जायेगा।
सं.सतीश सूरज
वार्ता
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