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राज्य » बिहार / झारखण्ड


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समस्तीपुर सीट पर राजद के प्रदेश प्रवक्ता एवं निवर्तमान विधायक अख्तरूल इस्लाम शाहीन जीत की हैट्रिक बनाने के लिए इस बार भी चुनाव मैदान मे पूरी ताकत के साथ खड़े है। जबकि जदयू ने श्री शाहीन के विरूद्ध पूर्व सांसद अश्वमेध देवी और लोजपा ने महेंद्र प्रधान को मैदान मे उतारकर चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। भाजपा के बागी उम्मीदवार कर्नल राजीव रंजन और हिन्दू पुत्र के प्रदेश अध्यक्ष अविनाश कुमार बादल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप मे चुनाव मैदान मे उतरकर राजग प्रत्याशी अश्वमेध देवी की मुश्किलें बढ़ा दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सिरोवन कुमार भी पूरे दमखम के साथ सियासी कर्मभूमि में भाग्य आजमां रहे हैं।
श्री शाहीन ने वर्ष 2010 के चुनाव में बिहार में सामाजिक क्रांति के पुरोधा नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के पुत्र और जदयू प्रत्याशी रामनाथ ठाकुर (अभी राज्यसभा सांसद) को पराजित किया था। इसके बाद वर्ष 2015 में राजद के श्री शाहीन ने भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री रेणु कुमारी को 31 हजार 80 मतों के अंतर से पराजित किया था। रामनाथ ठाकुर ने इस क्षेत्र से जदयू के टिकट पर फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और वर्ष 2000 में चुनाव जीता था। समस्तीपुर में 26 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं। समस्तीपुर क्षेत्र मे हार-जीत का निर्णय जातीय समीकरणों के आधार पर होते रहे है। यादव एवं मुस्लिम बहुल्य इस क्षेत्र मे औधोगिक विकास न के बराबर है। वहीं बंद पड़ी सरकारी चीनी मिल को खोलने की दिशा में भी बिहार सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके कर्मी आज भूखमरी के कगार पर हैं।
वारिसनगर सीट से जदयू के निवर्तमान विधायक अशोक कुमार को चुनौती देने के लिये भाकपा माले ने फूलबाबू सिंह को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। राजद से बगावत कर पूर्व मंत्री गजेन्द्र प्रसाद सिंह की पत्नी डॉ.उर्मिला सिन्हा लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के विनोद कुमार सिंह भी चुनावी दौड़ में बाजी अपने नाम करने की पुरजोर कोशिश में लगे हुये हैं। इस पर सीट पर महेश्वर हजारी के पिता रामसेवक हजारी का काफी समय तक वर्चस्व रहा। उन्होंने 1967, 1969,1985 और वर्ष 2000 में यहां से जीत हासिल की। वहीं पीतांबर पासवान का भी इस सीट पर दबदबा रहा है। उन्होंने वर्ष 1977,1980 1990 और वर्ष 1995 में जीत का सेहरा अपने नाम किया है। वर्ष 2015 में जदयू के श्री अशोक कुमार ने लोजपा के चंद्रशेखर राय को 58 हजार 573 मतों के अंतर से मात दी थी।जिले के वारिसनगर में 20 प्रत्याशी चुनौती दंगल में उतरे हैं।
मोरबा सीट पर जदयू ने अपने विधायक विधा सागर निषाद को चुनावी रणभूमि में उतारा है। वहीं राजद ने उनके सामने रण विजय साहू को खड़ा किया है। लोजपा ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पार्टी मे शामिल हुए अभय कुमार सिंह को चुनाव मैदान मे उतारकर चुनाव को त्रिकोणय बना दिया है। रालोसपा ने अनंत कुशवाहा भी चुनावी रणभूमि में ताल ठोककर सियासी मुकाबले को रोचक बनाने में लगे हैं। वर्ष 2010 में मोरवा विधानसभा क्षेत्र का पहला चुनाव हुआ जिसमें जदयू के टिकट पर पूर्व मंत्री बैधनाथ सहनी विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 2015 में जदयू के श्री निषाद ने भाजपा के सुरेश राय को 18 हजार 816 मतों के अंतर से पराजित किया था। मोरवा में सहनी समाज की आबादी ज्यादा हैं। इंदरवाड़ा में बाबा केवल का राजकीय मेला लगता है। इस प्रसिद्ध मेले में निषाद समाज के लोग बिहार के बाहर से भी आते हैं। पटोरी प्रखंड का भी कुछ हिस्सा इसमें है। यह क्षेत्र मछली पालन के लिए जाना जाता है। इस बार के चुनाव में मोरबा सीट पर 19 उम्मीदवार मैदान में बने हें। तृतीय चरण मे जिले के पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव मे कुल 14 लाख 64 हजार 562 मतदाता 87 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे।
सं प्रेम सूरज
वार्ता
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