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धूमधाम से मनायी जाती है कलम के अराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा

पटना, 15 नवंबर (वार्ता) कलम के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा कायस्थ परिवार के लोग धूमधाम के साथ मनाते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में चित्रगुप्त जी की पूजा का विशेष महत्व है। वह कायस्थों के आराध्य देव हैं। भगवान चित्रगुप्त ब्रह्मदेव की संतान हैं। वह ज्ञान के देवता हैं। उनको यमराज का सहायक देव माना जाता है।यमलोक के राजा यमराज को कर्मों के आधार पर जीव को दंड या मुक्ति देने में कोई समस्या न हो, इसलिए चित्रगुप्त भगवान हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा लिखकर, यमदेव के कार्यों में सहायता प्रदान करते हैं। चित्रगुप्तजी का जन्म ब्रह्मदेव के अंश से न होकर संपूर्ण काया से हुआ था इसलिए चित्रगुप्त जी को कायस्थ कहा गया।
पुण्य -पाप का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा इस वर्ष 16 नवंबर को मनाई जाएगी। कोरोना की वजह से इसे सार्वजनिक रूप से नहीं मनाया जाएगा। कायस्थ समाज के लोग घरों में ही विधि-विधान से भगवान की पूजा अर्चना करेंगे।अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने बताया कि वैश्विक आपदा कोरोना के समय में महासभा ने सर्व सम्मति से निर्णय लिया है कि इस वर्ष हम सभी वर्चुअल पूजा के माध्यम से अपने निज निवास पर ही समस्त विश्व में एक साथ ‘ चित्रगुप्त पूजा’ करेंगे। इसका आयोजन एवं प्रसारण ‘ न्यूज चैनल एवं ऑनलाइन माध्यम से 16 नवंबर को प्रातः 10 बजे से किया जाएगा। जनता दल यूनाईटेड (जदयू) प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने लोगों से भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा सादगी से मनाने की अपील की है।
कायस्थ पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त के साथ ही कलम और बहीखाते की भी पूजा करते हैं। क्योंकि ये दोनों ही भगवान चित्रगुप्त को प्रिय हैं। इसके साथ ही अपनी आय-व्यय का ब्योरा और घर परिवार के बच्चों के बारे में पूरी जानकारी लिखकर भगवान चित्रगुप्त को अर्पित की जाती है। एक प्लेन पेपर पर अपनी इच्छा लिखकर पूजा के दौरान भगवान चित्रगुप्त के चरणों में अर्पित करते हैं। चित्रगुप्त पूजा की रस्में मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा निभाई जाती हैं और पूरा परिवार साथ में पूजन करता है।इस दिन परिवार के लोग कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते।
प्रेम सूरज
जारी वार्ता
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