राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Nov 16 2020 8:54PM कहलगांव एनटीपीसी की बंद पड़ी सातवीं इकाई शुरूभागलपुर,16 नवंबर (वार्ता) देश की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड के बिहार में भागलपुर जिले के कहलगांव स्थित कोयला आधारित 2340 मेगावाट वाले बिजली संयंत्र की बंद पड़ी सातवीं इकाई से विद्युत उत्पादन शुरू कर दिया गया है। कहलगांव बिजली संयंत्र के कार्यकारी निदेशक चंदन कुमार चक्रवर्ती ने सोमवार को यहां बताया कि इस संयंत्र के नये ऐश डाईक एरिया के थ्री डी लैगून (तटबंध) के सात नवंबर की सुबह क्षतिग्रस्त होने के कारण उसी समय से एक साथ बंद की गई चार इकाइयों में से 500 मेगावाट वाली सातवीं इकाई के प्रचालन को रविवार की देर रात से चालू किया गया है। इसके साथ ही मौजूदा समय में पहले से चालू दो सहित कुल तीन इकाइयों के द्वारा करीब सात सौ मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसी तरह बंद पड़ी 500 मेगावाट वाली छठी इकाई का लाइट-अप सोमवार को किया गया है और अगले दो दिनों के भीतर इससे विधुत का उत्पादन होने लगेगा। इसके बाद 210 मेगावाट वाली अन्य दो इकाइयों को भी चालू कर दिया जाएगा, जबकि वार्षिक रखरखाव संबंधी कार्य के कारण बंद 500 मेगावाट वाली पांचवीं इकाई को भी जल्द चालू किये जायेंगे। श्री चक्रवर्ती ने बताया कि इस संयंत्र के नये थ्री डी लैगून तटबंध के क्षतिग्रस्त वाले हिस्सों के मरम्मती का काम तेजी से कराया जा रहा है और समूचे कामों पर संबंधित विभाग के वरीय एवं कनीय अधिकारीगण निगरानी कर रहे हैं।इन कामो के पूरा होने के बाद कहलगांव संयंत्र की सभी सात इकाइयों से पूरी क्षमता के साथ बिजली तैयार होने लगेगी। कार्यकारी निदेशक ने बताया कि क्षतिग्रस्त तटबंध से प्रवाहित पानी के आसपास के खेतों में फैलने के चलते हुए फसलों के नुकसान के सिलसिले में पीड़ित किसानों को पर्याप्त मुआवजा शीध्र मुहैय्या कराया जाएगा और इसके लिए राज्य सरकार के कृषि विभाग सूची तैयार कर रहे हैं।सूची मिलते ही मुआवजा की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच पड़ताल करने यहां आई एनटीपीसी मुख्यालय की दो उच्चस्तरीय जांच टीमों की रिपोर्ट आने के बाद तटबंध निर्माण से जुड़े इस संयंत्र के अधिकारी, अभियंता और संविदा एजेंसी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई तय है। गौरतलब है कि कहलगांव बिजली संयंत्र के नये ऐश डाइक एरिया के थ्री डी तटबंध के अचानक क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण आसपास के खेतों में तेजी से राखमिश्रित पानी फैल गया था।वहीं सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से 500 एवं210मेगावाट वाले दो- दो इकाइयों के प्रचालन को बंद कर दिया गया था।उधर खेतों में दूषित पानी के फैलने से गुस्साए किसानों और ग्रामीणों ने क्षतिग्रस्त तटबंध के मरम्मती के कामों को रोक दिया था।सं प्रेम सूरजवार्ता