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बिहार में 63 लाख हेक्टेयर भूमि में परंपरागत सिंचाई साधनों को विकसित करने की योजना

औरंगाबाद, 07 फरवरी (वार्ता) बिहार सरकार ने राज्य में 63 लाख हेक्टेयर भूमि में परंपरागत सिंचाई साधनों के माध्यम से सिंचाई की सुविधा सुलभ कराने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है ।
राज्य के लघु जल संसाधन मंत्री संतोष कुमार मांझी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रदेश में अनुपयोगी साबित हो रहे आहर, पईन, पोखर, करहा एवं लघु नहरों के अलावा परंपरागत सिंचाई साधनों को पुनर्जीवित किया जाएगा और इन के माध्यम से असिंचित खेतों में पानी उपलब्ध कराकर उन्हें सिंचित बनाया जाएगा। इससे एक ओर जहां उपज में वृद्धि होगी वहीं किसानों की आर्थिक स्थिति भी समृद्ध हो सकेगी और सरकार का किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य भी पूरा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली के माध्यम से लघु सिंचाई संसाधनों को विकसित किया जा रहा है।
श्री मांझी ने बताया कि राज्य में जो परंपरागत सिंचाई के साधन है उनका विभाग की ओर से सर्वे कराया जा रहा है कि उन्हें कैसे पुनर्जीवित कर सिंचाई के लायक बनाया जा सके। इसके लिए विभागीय अधिकारियों तथा अभियंताओं को विशेष निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025 तक हर खेत में सिंचाई के लिए पानी सुलभ कराना है और इसे हर हाल में पूरा किया जाएगा।
सं. सतीश
जारी वार्ता
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