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झारखंड : कोरोना काल की योजनाएं ले रही आकार, बन रही आजीविका का माध्यम

रांची, 19 फरवरी (वार्ता) झारखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में आम्रपाली, मल्लिका प्रजाति के आम एवं अमरूद, नींबू, थाई बैर, कटहल, शरीफा ,लेमन ग्रास, पल्मारोसा जैसे खुशबूदार पौधे अपनी खुशबू बिखेर ग्रामीणों के लिए आजीविका का माध्यम बन रहें हैं।
ऐसा हो रहा है बिरसा हरित ग्राम योजना के माध्यम से। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मनरेगा अंतर्गत बिरसा हरित ग्राम योजना का शुभारम्भ जिस मुख्य उद्देश्य से किया था, वह फलीभूत होने लगा है। आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, लघु एवं सीमांत किसानों को मनरेगा के अंतर्गत न केवल 100 दिनों का रोजगार देने , बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने एवं लम्बे समय तक आमदनी प्रदान करने के लिए ग्रामीणों के लिए परिसंपत्ति निर्माण का प्रयास रंग ला रहा है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में 24 जिला, 263 प्रखंड, 30023 लाभुक, 25695.3 एकड़ भूमि और 2641429 फलदार पौधे झारखण्ड के गांवों में लहलहा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 30023 लाभुकों को योजना का लाभ मिला। जबकि 2016 से 2020 तक बिरसा हरित ग्राम योजना से पूर्व संचालित योजना से पांच वर्ष में मात्र 7741 लाभुकों को लाभ हुआ था।
योजना के तहत गरीब परिवारों की रैयती जमीन पर मनरेगा प्रावधान के अनुरूप मुख्यतः आम, अमरूद, निम्बू आदि का मिश्रित पौधारोपण किया जा रहा है। गैर-मजरुआ भूमि एवं सड़क किनारे की भूमि जो अधिकांशतः बंजर है उसमें भी पौधारोपण कर हरा-भरा बनाया जा रहा है। गांव के अति गरीब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, भूमिहीन आदि परिवारों को मनरेगा प्रावधान के अनुरूप किए गए पौधारोपण को भोगाधिकार के साथ जोड़कर उनके लिए आजीविका के स्थायी स्रोत के निर्माण को बल मिला है।
विनय सतीश
जारी वार्ता
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