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सहकारी बैंकों को वित्तीय एवं आंतरिक प्रशासनिक मामले में है स्वायत्तता

पटना 17 मार्च (वार्ता) बिहार सरकार ने आज कहा कि बिहार सहकारी समितियां अधिनियम के तहत सहकारी बैंकों को सभी वित्तीय एवं आंतरिक प्रशासनिक मामले में स्वायत्तता प्रदान की गई है।
विधान परिषद में कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुनील कुमार सिंह के तारांकित प्रश्न के उत्तर में कहा कि बिहार सहकारी समितियां अधिनियम 1935 की धारा 44 (क) एवं (फ) के तहत सहकारी बैंकों को सभी वित्तीय तथा आंतरिक प्रशासनिक मामले में स्वायत्तता प्रदान की गई है। राज्य में सभी सहकारी बैंकों के प्रबंधन द्वारा बैंक की गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) कम करने के लिए एकमुश्त समझौता योजना (ओटीएस) चलाई जा रही है।
मंत्री ने कहा कि राज्य में सहकारी बैंकों का कुल एनपीए पांच अरब 51 करोड़ 82 लाख 73 हजार रुपये है। यह कुल ऋण का 13.37 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों द्वारा एनपीए की वसूली के लिए क्रियान्वित एकमुश्त समझौता योजना में राज्य सरकार की भूमिका नहीं है।
श्री सिंह ने कहा कि बिहार राज्य सहकारी बैंक एवं केंद्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंधन द्वारा अपने एनपीए को कम करने के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य एवं लक्ष्य सहकारी बैंकों के एनपीए को न्यूनतम स्तर पर लाना है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 15 मार्च तक कुल 10118 ऋण खातों के ओटीएस के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जिसमें 39 करोड़ 17 लाख 17 हजार रुपये की वसूली हुई है।
उपाध्याय सूरज
जारी (वार्ता)
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19 Apr 2024 | 9:10 PM

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