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झारखंड में इमली की खटास से जीवन में घुल रही आजीविका की मिठास

रांची, 08अप्रैल (वार्ता) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर राज्य में उपलब्ध वनोपजों के जरिए सुदूर गांव में रहने वाले लोगों की आमदनी को बढ़ाने का प्रयास रंग ला रहा है।
राज्य के वन प्रदेशों में इमली के पेड़ों की अधिकता अब रोजगार का जरिया बन रहा है। खूंटी के शिलदा गांव की सुशीला मुंडा रौशनी इमली संग्रहण का कार्य कर खुशहाल है। पिछले वर्ष एक टन इमली के संग्रहण से सुशीला को 40 हजार रुपये की आमदनी हुई। सुशीला कहती हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि जंगलों में मुफ्त में उपलब्ध इमली से इतनी कमाई हो सकती है।
वहीं, सिमडेगा के ठेठईटांगर स्थित केसरा गांव की लोलेन समद इमली संग्रहण एवं प्रसंस्करण का काम कर रही हैं। लोलेन समद के पास इमली के सात पेड़ है, जिससे हर साल उन्हें लगभग तीन टन इमली की उपज प्राप्त होती है। लोलेन को इमली उत्पादन के ज़रिये साल भर में एक लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है, जिससे वे अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने में समर्थ हो पा रही हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि राज्य की ग्रामीण महिलाएं इमली की खटास से अपने जीवन में आजीविका की मिठास घोल रही हैं।
विनय सतीश
जारी वार्ता
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