राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Sep 21 2021 5:07PM असामयिक मृत्यु को प्राप्त पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रेतशिला पिंडवेदी पर किया जाता है पिंडदानगया, 21 सितंबर (वार्ता) असामयिक मृत्यु को प्राप्त पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष के प्रतिपदा तिथि को प्रेतशिला, रामशिला एवं कागबली वेदी पर पिंडदान का विधान है। गया शहर से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर कोरमा गांव के समीप प्रेतशिला पहाड़ पर स्थित है। लगभग 676 सीढियां चढ़कर लोग पहाड़ के ऊपर बने ब्रह्म शिला पर पिंडदान करते हैं एवं उस शिला पर सत्तू डालते हैं। कुछ वृद्ध पिंडदानी जो पहाड़ पर नहीं चढ़ सकते हैं, वे लोग प्रेतशिला परिसर में पिंडदान कर कर पितरों के निमित्त पिंड को छोड़ते हैं। प्रेतशिला पहाड़ के ऊपर जाने के लिए स्थानीय मजदूरों द्वारा खटोली की व्यवस्था रहती है, जो एक निश्चित रकम लेकर यात्री को ऊपर ले जाते हैं और वापस नीचे छोड़ देते हैं। ऐसी मान्यता है कि परिवार में किसी के भी आकस्मिक मृत्यु जैसे आत्महत्या, आग से, पानी मे डूबने से, हत्या वगैरह हो जाने पर उनकी आत्मा भटकती रहती है। प्रेतशिला में आकस्मिक मृत्यु एवं जाने अनजाने परिवार में किसी की मृत्यु हुए लोगों का पिंडदान करने का विधान है।सं.सतीशजारी वार्ता