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विशिष्ट जनजाति खाद्यान्न योजना का सामाजिक अंकेक्षण कराने का निर्णय: डॉ0 रामेश्वर उरांव

रांची, 04 अक्टूबर (वार्ता)झारखंड के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा है कि अंतिम जन के विकास के लिए राज्य सरकार संकल्पित है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामले विभाग ने विशिष्ट जनजाति खाद्यान्न योजना (डाकिया योजना) का सामाजिक अंकेक्षण कराने का निर्णय लिया है।
डॉ0 उरांव ने सोमवार को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के निर्माण की प्रक्रिया के दौर में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने ही सुदूर क्षेत्रों में खाद्यान्न पहुंचाने की जिम्मेवारी केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से वहन करने का सुझाव दिया था और अधिनियम के पारित होने के बाद इसी प्रावधान के तहत डाकिया योजना प्रारंभ की गयी।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौर में क्षेत्र भ्रमण के दौरान इस जनजाति के लोगों तक खाद्यान्न पहुंचाने में आ रही कठिनाईयों को उन्हों देखा और समझा है और उसके निराकरण के लिए प्रयास किये गये हैं, पर अब सामाजिक अंकेक्षण के माध्यम से इन 73 हजार परिवारों के घर-घर जाकर इनकी समस्याओं को जानकर इसमें सुधार के लिए हरसंभव प्रयास किये जाएंगे तथा नीतिगत निर्णय लिये जाएंगे। उन्होंने सोशल ऑडिट यूनिट को हर परिवार तक पहुंचने, सामाजिक संगठनों तथा मीडिया कर्मियों से इन परिवारों को चिह्नित करने में सहयोग लेने का सुझाव दिया।
विभाग की ओर से सामाजिक अंकेक्षण की कानूनी अनिवार्यता की महत्ता पर जोर देते हुए सोशल ऑडिट टीम को सहयोग देने और उन्हें दस्तावेज समय पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। सोशल ऑडिट का उद्देश्य कमियों से सीख कर उसमें सुधार करना है, ताकि योजना का लाभ सभी सुयोग्य लाभुकों को मिल सके।
सोशल ऑडिट यूनिट के राज्य समन्वयक की ओर सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया, विभिन्न पक्षों की इसमें भूमिका और समय सारणी तैयार कर ली गयी है, इसके तहत 22 अक्टूबर से 20 नवंबर तक क्षेत्र स्तर पर सत्यापन पूर्ण करने और 22 दिसंबर तक सभी स्तर की सुनवाईयों को संपन्न करने की कार्ययोजना बनायी गयी है।
विनय
वार्ता
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