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वन संरक्षण कानून के नए नियम आदिवासी स्वराज-ग्रामसभा के अधिकारों पर हमला : कांग्रेस

रांची, 13 जुलाई (वार्ता) झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमिटी केप्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि वन अधिकार कानून ने आदिवासियों को उनका हक दिया, ग्रामसभा व आदिवासी स्वराज की आवाज को महत्व दिया था लेकिन वन संरक्षण कानून के नए नियम आदिवासी स्वराज-ग्रामसभा के अधिकारों पर हमला हैं l
श्री प्रसाद ने आज यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा की कथनी में आदिवासी हित का दावा व दिखावा है, लेकिन करनी में आदिवासियों के साथ छलावा है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ भाजपा आदिवासियो को केंद विंदु में रख कर विश्वास रैली का आयोजन करती है दूसरी तरफ आदिवासी समाज को संविधान प्रदत्त अधिकारों में लगातार कटौती कर रही है, वन संरक्षण अधिनियम 1980 को, वन अधिकार अधिनियम, 2006 के अनुरूप लागू करना सुनिश्चित करने के संसद द्वारा सौंपे गए उत्तरदायित्व को मोदी सरकार ने तिलांजलि दे दी है। इन नए नियमों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय संबंधी संसद की स्थायी समितियों सहित अन्य संबद्ध हितधारकों से बिना कोई विचार विमर्श और चर्चा किए प्रख्यापित कर दिया गया है।
श्री प्रसाद ने कहा कि अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006, जिसे जन सामान्य की भाषा में वन अधिकार अधिनियम, 2006 के रूप में जाना जाता है, एक ऐतिहासिक और सर्वाधिक प्रगतिशील कानून है जिसे गहन संवाद और चर्चा के बाद संसद द्वारा सर्वसम्मति और उत्साहपूर्वक पारित किया गया था। यह देश के वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी, दलित और अन्य परिवारों को व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तर पर भूमि और आजीविका के अधिकार प्रदान करता है।
विनय
जारी वार्ता
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