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संत रविदास तो संत थे उन्हें किसी धर्म से नहीं मानवता से मतलब है:अमर कुमार बाउरी

रांची, 05 फरवरी (वार्ता)अनुसूचित जाति मोर्चा, भारतीय जनता पार्टी, झारखण्ड प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अमर कुमार बाउरी ने आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में संत शिरोमणि रविदास की 647 जयंती के अवसर पर पुष्पंजली अर्पित की।
मौके पर उन्होंने कहा कि संत शिरोमणि कवि रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को 1376 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में हुआ था। रविदासजी चर्मकार कुल से होने के कारण जूते बनाते थे। ऐसा करने में उन्हें बहुत खुशी मिलती थी और वे पूरी लगन और परिश्रम से अपना कार्य करते थे।

उन्होंने कहा उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में मुगलों का शासन था। चारों ओर अत्याचार, गरीबी, भ्रष्टाचार व अशिक्षा का बोलबाला था। उस समय मुस्लिम शासकों द्वारा प्रयास किया जाता था कि अधिकांश हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जाए। संत रविदास की ख्याति लगातार बढ़ रही थी जिसके चलते उनके लाखों भक्त थे। जिनमें हर जाति के लोग शामिल थे। यह सब देखकर एक मुस्लिम 'सदना पीर' उनको मुसलमान बनाने आया। उसका सोचना था कि यदि रविदास मुसलमान बन जाते हैं तो उनके लाखों भक्त भी मुस्लिम हो जाएंगे। ऐसा सोचकर उनपर हर प्रकार से दबाव बनाया गया, लेकिन संत रविदास तो संत थे उन्हें किसी धर्म से नहीं मानवता से मतलब है। उन्होंने अपने दोहे के माध्यम से भी धर्मपरिवर्तन को नकारा।
संत रविदास ने कहा था -
मैं नहीं दब्बू बाल गँवारा, गंगत्याग महूँ ताल किनारा ।।
प्राण तजूँ पर धर्म न देऊँ, तुमसे शाह सत्य कह देऊँ ।।
चोटी शिखा कबहुँ नहीं त्यागूँ, वस्त्र समान देह भल त्यागूँ ।।
कंठ कृपाण का करौ प्रहारा, चाहै डुबावो सिंधु मंझारा ।।
विनय
जारी वार्ता
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