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पटना उच्च न्यायालय ने जाति आधारित जनगणना पर फैसला सुरक्षित रखा

पटना 03 मई (वार्ता) पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में चल रही जाति आधारित जनगणना पर आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने बिहार में चल रही जातिगत जनगणना को चुनौती देने वाली "यूथ फॉर इक्वेलिटी" की याचिका पर दो दिन की सुनवाई के बाद बुधवार को आदेश सुरक्षित रख लिया। इस मामले में खंडपीठ अपना निर्णय गुरुवार को सुनाएगी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राज्य सरकार के पास जातिगत जनगणना कराने की कोई कानूनी शक्ति नहीं है और इस तरह की कवायद केवल केंद्र द्वारा ही की जा सकती है।
याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि राज्य सरकार जाति आधारित जनगणना पर 500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि कई विसंगतियां सामने आएंगी क्योंकि राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी को भी अपनी जाति का खुलासा करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और इस तरह की अनिच्छा के मामले में पड़ोसी से जानकारी एकत्र की जाएगी।
महाधिवक्ता पी. के. शाही ने कहा कि बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में जातिगत जनगणना के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया है। इस उद्देश्य के लिए बजटीय आवंटन भी किया गया है। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना से सभी वर्गों के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करने में मदद मिलेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह राज्य सरकार को उन लोगों के लिए नीतियां बनाने में भी मदद करेगा जो विकास के मार्ग पर पिछड़ गए हैं।
सं. सूरज शिवा
वार्ता
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