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स्वास्थ्य कार्यक्रमों को स्कूलों में ले जाने की आवश्यकता : डॉ. किंजवाडेकर

दरभंगा, 21 मई (वार्ता) इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आई. ए. पी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० उपेंद्र किंजवाडेकर ने आज कहा कि बच्चों को नॉन इनफेक्शियस डिजीज के बारे में जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रमों को स्कूलों में ले जाने की आवश्यकता है। डॉ. किंजवाडेकर ने रविवार को यहां दरभंगा के लहेरियासराय स्टेडियम में दरभंगा एकेडमी आफ पेडियाट्रिक्स के द्वारा आइ ए पी ईस्ट जोन मिड टर्म एमसीएमई को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों का पोषण, जंक फूड से बचाव, उनका सोने का समय, उनका व्यायाम, उनका स्क्रीन टाइम, नशे से बचाने की युक्ति और आगे चलकर बड़े होने पर होने वाली बीमारियां जैसे मोटापा, ब्लड प्रेशर, हर्ट डिजीज, कैंसर इत्यादि से बचाव के उपाय पर जागरूकता की जरूरत है।
आईएपी अध्यक्ष ने कहा कि बच्चों के आहार में आधी थाली फल और हरी साग सब्जियां होनी चाहिए। कोई भी डब्बा बंद भोज्य पदार्थ लेने के पहले उसके लेवल पर उसके अवयवों को पढ़ना जरूरी है। यह जानना जरूरी है कि उसमें कितना कैलोरी आ रहा है। बच्चों के लिए कसरत खेलकूद और योग भी बहुत आवश्यक है। यह समझना होगा कि बच्चों के लिए 10 घंटे की नींद और दिन में आधे से एक घंटे का झपकी बहुत आवश्यक है।
डॉ. किंजवाडेकर ने कहा कि बच्चों को नशे से परहेज करना भी सिखाना होगा। टीवी और मोबाइल स्क्रीन बच्चों का बचपन खा रहा है। मोबाइल उन्हें अपने साथियों से मिलने से रोकता है और संवाद की क्षमता कम करता है। सब मिलाकर बच्चों को 24 घंटे में दो घंटे से ज्यादा मोबाइल या टीवी स्क्रीन के सामने नहीं रहना है। उन्हें रात में सोने से दो घंटे पहले मोबाइल से दूर रहना होगा।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ० भोला नायक ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने आई ए पी के द्वारा सी एम इ करने पर यहां के सभी सदस्यों का धन्यवाद किया।
समारोह में सी आई ए पी के अध्यक्ष डॉ० उपेंद्र किंजवाडेकर, मानद सचिव डॉ० विनीत सक्सेना, ईस्ट जोन के अध्यक्ष डॉ० अर्किता सोंय, सचिव डॉ० अनिल कुमार तिवारी, बिहार आइ ए पी के अध्यक्ष डॉ० शिव बचन सिंह एवं सचिव डॉ० मधु कुमारी, दरभंगा आईएपी के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार एवं सचिव डॉक्टर मोहम्मद सलीम अहमद, कोषाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार, आयोजन अध्यक्ष डॉक्टर एनपी गुप्ता, एवं सचिव डॉक्टर अमृता मिश्रा, संयुक्त सचिव डॉ उत्सव राज, कोषाध्यक्ष डॉ मिथिलेश कुमार सिंह, सह कोषाध्यक्ष डॉ कुमार आनंद, साइंटिफिक कमिटी की सह सचिव डॉक्टर डॉक्टर पल्लवी के साथ दरभंगा आ ए पी के वरिष्ठ सदस्य डॉ रवि प्रकाश और डॉक्टर विजय कुमार सिंह भी शामिल थे।
साइंटिफिक सत्र में डॉ० विनीत सक्सेना ने पोषण जन्म रक्ताल्पता पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कम कीमत में मिलने वाले आयरन सल्फेट या आयरन पफ्यूमरेट महंगे आयरन प्रोडक्ट से ज्यादा उपयोगी है। व्याख्यान में योगदान करते हुए डॉक्टर रुचिरा गुप्ता ने कहा कि जन्म के समय देर से नाभी काटने से नवजात शिशुओं में ज्यादा रक्त आने से बाल्यकाल में रक्त की कमी नहीं होती है। अगर किसी कारण से नाभि जल्दी काटना पड़े तो उसे दूह कर बच्चे में खून दिया जा सकता है।
डॉ. किंजवाडेकर ने ग्रोथ चार्ट की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े जांच पर खर्च करने के बजाय अगर सभी शिशु रोग विशेषज्ञ जब भी किसी भी काम से बच्चे उनके क्लीनिक आए तो उनका वजन, उनकी लंबाई/ऊंचाई उनके सिर की माप लेकर और उनका बीएमआई निकालकर आईएपी के ग्रोथ चार्ट पर प्लॉट कर ससमय उनके कुपोषण और बीमारियों को पता कर सकते हैं। एक बार अगर बच्चे की वृद्धि प्रभावित हो गई तो उसे किसी भी तरह ठीक नहीं किया जा सकता।
पटना मेडिकल कॉलेज शिशु विभाग के भूतपूर्व विभागाध्यक्ष डॉ ए के जायसवाल ने नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग पर जोर दिया। उन्होंने कहा इस मामले में अभी हम दुनिया में बहुत पीछे चल रहे हैं। स्क्रीनिंग द्वारा भविष्य में होने वाली बीमारियों को सही समय पर जाना जा सकता है और बच्चे को स्वस्थ रखा जा सकता है।
डॉक्टर बी पी जसवाल ने कंप्लीटेड डेंगू, डॉक्टर मृत्युंजय दास ने विल्सन डिजीज, डॉ शंभूनाथ ने इंपीटिगो, डॉक्टर श्रवण कुमार ने नवजात शिशु के संक्रमण, डॉ विनोद कुमार सिंह ने सेप्टिक शॉक और डॉ राजीव मिश्रा ने बुखार के आधारभूत अवयवों पर चर्चा की। भोजनावकाश के बाद डॉक्टर अपूर्बा घोष ने व्हाइट मैटर डिजीज, डॉ जयदीप चौधरी ने बार-बार होने वाले निमोनिया, डॉ ललन भारती ने नियोनैटल हाइपोग्लाइसीमिया और डॉक्टर देवाशीष शर्मा ने ऑक्सीजन थेरेपी पर विचार व्यक्त किए। एक पैनल डिस्कशन जिसका मॉडरेशन डॉ शांतनु देव ने किया। उसमें ट्यूबरकुलोसिस गाइडलाइंस में जो भी नई चीजें आई हैं उस पर पैनलिस्ट डॉ अरविंद कुमार ओझा, डॉक्टर अमित कुमार, डॉक्टर श्री शिव वचन सिंह, डॉक्टर रिजवान हैदर और डॉक्टर रिजवान अहमद ने चर्चा की।
दिन भर चले इस सीएमई के द्वारा शिशु रोग विशेषज्ञों के ज्ञान में काफी वृद्धि हुई। इस कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश, असम, झारखंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, बिहार, नागालैंड, उड़ीसा, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के चिकित्सक शामिल हुए। स्वागत भाषण डॉ. एनपी गुप्ता और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अमिता मिश्रा ने किया।
ज्ञातव्य है कि सोमवार को माउंट समर स्कूल में संकल्प संपूर्ण स्वास्थ्य का वर्कशॉप है और उसके बाद लहेरियासराय ऑडिटोरियम में प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण होगा।
सं.सतीश
वार्ता
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