राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Oct 17 2024 3:29PM करवा चौथ दांपत्य जीवन में लेकर आता है अपार खुशियां : संजय सर्राफरांची,17 अक्टूबर (वार्ता)विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि सनातन धर्म में सुहागिनों द्वारा रखे जाने वाला करवा चौथ का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हर वर्ष करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखने का विधान है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। वही कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत करती है यह व्रत निर्जला रखा जाता है। और रात के समय चांद देखकर इस व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन महिलाएं चांद निकलने तक अन्न, जल का त्याग करती है उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतार कर अपना व्रत खोलती है। साथ ही मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा की जाती है। इस वर्ष कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि 19 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर आरंभ हो रहा है। और 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में करवा चौथ का व्रत रविवार 19 अक्टूबर को किया जाएगा। करवा चौथ का व्रत की परंपरा सदियों पुरानी है। शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था इस व्रत के बाद ही उनका विवाह शिवजी से हुआ। इसके बाद से ही करवा चौथ व्रत की शुरुआत हुई। एक अन्य मान्यता के अनुसार एक बार जब देवताओं का राक्षसों के साथ युद्ध चल रहा था तो उस समय सभी राक्षस देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। तो सभी देवी ब्रह्मा देव के पास पहुंचते हैं और उन्हें सारी बात बताई और उनसे कहा कि वह अपनी पतियों की रक्षा के लिए क्या कर सकती है। तब ब्रह्मा देव ने उन्हें करवा चौथ का व्रत रखने का सुझाव दिया। ब्रह्मा देव के बताए अनुसार सभी महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा जिस वजह से देवताओं की रक्षा हो सकी। तभी से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है इसलिए सुहागिन महिलाएं चंद्रमा से अपनी पति की सुख, समृद्धि और लंबी आयु की कामना करते हुए चंद्रमा की पूजन करती है यह व्रत दांपत्य जीवन में अपार खुशियां लेकर आता है। तथा इस व्रत को रखने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं।विनय वार्ता