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बिहार- जेल छठ दो अंतिम पटना

मोतिहारी केंद्रीय कारा में भी कैदी छठ पर्व कर रहे हैं। यहां 110 बंदी छठ कर रहे हैं, इसमे एक मुस्लिम समेत 68 महिला 42 पुरुष बंदी शामिल हैं।छठ करनेवाले सभी महिला बंदियों को साड़ी तथा पुरुष छठ व्रतियों को धोती, गंजी, गमछा दिया गया है। इसके साथ ही सभी व्रतियों को फल तथा पूजन सामग्री कारा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गयी है। भागलपुर से प्राप्त सूचना के अनुसार शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय जेल में 25 पुरुष, महिला मंडल कारा में 15 और तथा विशेष केन्द्रीय कारा 10 बंदी छठ पर्व किया है। जेल प्रशासन इन व्रतियों के लिए कपड़े, छठ पूजन सामग्री, प्रसाद सहित अन्य जरूरी सामग्री उपलब्ध करा रहा है। छठ पर्व करने वालों में एक मुस्लिम कैदी भी शामिल है।जेल के अंदर बने तालाब की सफाई करा दी गई है जहां व्रती गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को और शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे।
पूर्णिया केन्द्रीय में भी छठ पर्व की चहल-पहल देखी जा रही है। जेल अधीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि यहां एक महिला समेत 20 महिला और 26पुरुष कैदी छठ पर्व कर रहे हैं। कैदियों का मानना है कि छठ मईया केआशीर्वाद से सभी कष्ट जल्द दूर हो जाएंगे। शुद्धता का पर्याय माने जानेइस पर्व में जेल में भी इसका ख्याल रखा जा रहा है। जेल में कैदियों को सारी पूजन सामग्री की व्यवस्था जेल प्रशासन द्वारा ही की जा रही है।
सीवान मंडलकारा में भी कैदी छठ पर्व मना रहे हैं। मंडल काराधीक्षक देवाशीष कुमार सिन्हा ने बताया कि इस वर्ष कुल 23 बंदी छठ महापर्व मना रहे हैं, इनमें एक पुरुष जबकि 22 महिलाएं शामिल हैं। छठ महापर्व के अवसर पर व्रतियों का विशेष ध्यान रखा जाता है। पूजा के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसको लेकर सभी तरह की तैयारी की गयी है। सभी को नया कपड़ा, पूजा सामग्री के अलावे फल एवं अन्य सामान भी उपलब्ध कराया गया है। बंदी पूरे विधि विधान से परिसर के भीतर इस महापर्व को मनाते हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार में सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व आज शुरू हुआ है। इस महापर्व का पहला दिन नहाय खाय से व्रत शुरू हुआ और श्रद्धालुओं ने नदियों और तालाबों में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण किया। गंगा नदी में स्नान करने के बाद बड़ी संख्यामें लोग पवित्र जल लेकर अपने घर लौटे और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर पूजा की तैयारी में जुट गये। महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने दिन भर बिना जल ग्रहण किये उपवास रखेंगे और सूर्यास्त होने पर पूजा करने के बाद दूध और गुड़ से खीर का प्रसाद बनाकर खायेंगे।इसके साथ ही 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू हो जायेगा। तीसरे दिन आज व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर फल एवं कंदमूल से प्रथम अर्घ्य अर्पित करेंगे। पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देंगे। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होगा और वे अन्न ग्रहण करेंगे।
प्रेम
वार्ता
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