राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Nov 11 2024 4:06PM खुदा बख्श लाइब्रेरी में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर मौलाना आज़ाद पर पुस्तकों की प्रदर्शनीपटना, 11 नवंबर (वार्ता) राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर बिहार में पटना की खुदा बख्श लाइब्रेरी में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पर पुस्तकों की प्रदर्शनी लगायी गयी। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक बहुआयामी बुद्धिजीवी थे। वह स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। हर वर्ष 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर खुदाबख्श लाइब्रेरी में किताबों की एक प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें मौलाना आजाद द्वारा लिखी गई किताबों के साथ-साथ उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में उनके विभिन्न पहलुओं पर लिखी गई किताबें शामिल हैं। 20वीं सदी में भारत में आई जागृति के नेताओं में मौलाना आज़ाद भी एक महत्वपूर्ण नाम है। मौलाना आजाद ने अपने लिए जो रास्ता अपनाया वह गंगा-जमुनी तहजीब और धर्मनिरपेक्षता का रास्ता था। यदि हमने मौलाना आजाद की सोच को अपने जीवन में उतार लिया तो हमने अपने जीवन के साथ-साथ देश का भविष्य भी सुरक्षित कर लिया है। मौलाना आज़ाद की विचारधारा से छात्रों के लिए दरवाजे खोलते हैं। मौलाना आज़ाद आज़ादी के आंदोलन में भी सक्रिय रहे। स्वतंत्रता आंदोलन में अल-हिलाल की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। उसी समय मौलाना का एक लेख प्रकाशित हुआ; इस्लाम और राष्ट्रवाद, इसमें उन्होंने मानवीय समानता को जीवन की योजना के रूप में प्रस्तुत किया। मौलाना आज़ाद ने शिक्षा के माध्यम से भारत को अन्य देशों से जोड़ा। मौलाना आज़ाद ने शिक्षा मंत्री रहते हुए कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की जिससे लोग आज भी लाभान्वित हो रहे हैं।प्रेम सूरज वार्ता