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आईएसएम ने सेन्ट्रा.वर्ल्ड के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये

धनबाद, 21 नवंबर (वार्ता) आईआईटी (आईएसएम) धनबाद ने भारत में लोहे और इस्पात उद्योग को डीकार्बोनाइज़ करने के उद्देश्य से एक अग्रणी अनुसंधान पहल शुरू करने के लिए बैंगलोर स्थित स्टार्टअप सेन्ट्रा.वर्ल्ड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह सहयोग इस्पात निर्माण प्रक्रिया के भीतर जैवचार-कोयले के लिए एक पर्यावरण के अनुकूल विकल्प-के अनुप्रयोग पर केंद्रित है। इस शोध में 10 से अधिक भारतीय राज्यों से बायोमास को चिह्नित करना और कोक बनाने, सिंटरिंग, स्पंज आयरन उत्पादन आदि जैसे सभी इस्पात अनुप्रयोगों के लिए उयुक्त उच्च गुणवत्ता वाले बायोचार का उत्पादन करने के लिए रूपांतरण प्रक्रियाओं को विकसित करना शामिल होगा।यह परियोजना लगभग 720 मिलियन टन के अतिरिक्त बायोमास वेस्ट का रेसाइकिलिंग का लाभ उठाती है जैसे कि पराली (चावल की भूसी) वन अवशेष जैसे बांस, कृषि प्रसंस्करण अपशिष्ट जैसे गन्ना खोई और बाबुल जैसी आक्रामक प्रजातियां। इस बायोमास का पुनः उपयोग करके, इस पहल का उद्देश्य पराली जलाने को रोकना है-जो वायु प्रदूषण में एक प्रमुख योगदानकर्ता है-और कृषि अपशिष्ट का मुद्रीकरण करके किसानों के लिए एक अतिरिक्त राजस्व धारा बनाना है।
देश के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भारतीय इस्पात क्षेत्र का योगदान 8-12% है, बायोचार को अपनाने से उत्सर्जन में 40% तक की कमी आ सकती है। यह सफलता न केवल जलवायु प्रभाव को काफी कम करेगी, बल्कि ग्रामीण आजीविका भी पैदा करेगी, किसानों की आय में वृद्धि करेगी और भारत के सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देगी।आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के फ्यूल, मिनरल्स एंड मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर प्रोफेसर शालिनी गौतम ने कहा, "यह इनोवेटिव इंडस्ट्री कोलैबोरेशन हमारे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित अमृत काल की दिशा में आगे बढ़ने और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
सेंट्रा.वर्ल्ड के सह-संस्थापक विकास उपाध्याय ने कहा, 50 से अधिक ग्राहक सक्रिय रूप से कार्बन फुटप्रिंट में कमी के लिए रास्ते तलाश रहे हैं, यह साझेदारी देश में कठिन से कठिन क्षेत्रों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
वर्ष 1976 में स्थापित आईआईटी (आईएसएम) धनबाद फ्यूल, मिनरल्स एंड मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग में धातु, गैर-धातु, ईंधन, ऊर्जा और खनिज के प्रसंस्करण में अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में सबसे आगे रहा है। सेन्ट्रा.वर्ल्ड के साथ यह सहयोग सस्टेनेबल इनोवेशन के लिए विभाग की प्रतिबद्धता के साथ पूरी तरह से संरेखित करता है, विशेष रूप से स्टील उद्योग में क्रांति लाने और डीकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए बायोचार की क्षमता की खोज में।इस शोध के परिणामों से उत्पाद मानकीकरण को बढ़ावा मिलने, स्थिरता में सुधार होने और इस्पात उद्योग में नवाचार के लिए एक वैश्विक मानक स्थापित होने की उम्मीद है।एमओयू पर हस्ताक्षर के दौरान प्रो. सागर पाल, डीन आर एंड डी; प्रो. शालिनी गौतम, और आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के डॉ. अमृत आनंद, और सेन्ट्रा.वर्ल्ड के विकास उपाध्याय और आयुष राज सिन्हा उपस्थित थे।
सं.प्रेम सूरज
वार्ता
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