राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Nov 28 2024 8:15PM डाक टिकट हमारी परम्परा, संस्कृति और इतिहास से जुड़ने का अच्छा माध्यम : आर्लेकरपटना, 28 नवंबर (वार्ता) बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज कहा कि डाक टिकट हमारी परम्परा, संस्कृति और इतिहास से जुड़ने का एक अच्छा माध्यम है, जिसके द्वारा हम अपने अतीत में झांककर देख सकते हैं। श्री राजेंद्र आर्लेकर ने यहां राज्य स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी, 2024 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पहले संदेशों का आदान-प्रदान पत्रों के माध्यम से हुआ करता था, लेकिन आज के डिजिटल युग में यह मोबाईल आदि से किया जा रहा है। डाक टिकट हमारे अतीत से जुड़ने का एक अच्छा माध्यम है। विभिन्न महापुरूषों पर आधारित डाक टिकटों के माध्यम से हमें उनका स्मरण होता है और प्रेरणा भी मिलती है। डाक टिकट आज भी प्रासंगिक है। पहले कॉपर के डाक टिकट हुआ करते थे, जिनकी कीमत आज करोड़ों में है। पैसे के लिए डाक टिकटों का संग्रह एक अलग बात है, लेकिन अपने अतीत को जानने और समझने के दृष्टिकोण से इसका काफी महत्व है। हमारे बच्चों में डाक टिकट संग्रहण की रूचि होनी चाहिए। राज्यपाल ने इस अवसर पर कबूतर के माध्यम से पत्र भेजा, जिसका उत्तर उन्हें हरकारा ने लौटती डाक से लाकर दिया। उन्होंने चाणक्य, चित्रगुप्त और आर्यभट्ट पर विशेष आवरण तथा ऋषियों पर आधारित चित्र पोस्टकार्ड का विमोचन किया। राज्यपाल ने ’ग्लोरी ऑफ बिहार ’ एवं ‘पोस्टल हेरिटेज ऑफ बिहार ’नामक पुस्तकों का विमोचन भी किया। उन्होंने डाक टिकट प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। कार्यक्रम को पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.सी.पी॰ ठाकुर एवं बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्य पोस्टमास्टर जनरल, बिहार अनिल कुमार, विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह, बिहार डाक परिमंडल के पदाधिकारीगण एवं कर्मीगण तथा अन्य लोग उपस्थित थे।प्रेम सूरज वार्ता