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बिजनेस


श्री जेटली के पास वेतनभोगियों के साथ ही व्यक्तिगत करदाताओं को खुश करने का यह अंतिम मौका है। इसके मद्देनजर आयकर स्लैब में बदलाव कर करदाताओं, विशेषकर वेतनभागियों को बड़ी राहत दी जा सकती है। चुनाव जीतने के बाद से अब तक इस सरकार ने कर स्लैब में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। अभी आयकर में छूट की सीमा ढाई लाख रुपये है जिससे बढ़ाकर तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किया जा सकता है। इस स्लैब में करीब साढ़े चार लाख करदाता है।
इसके साथ ही पांच प्रतिशत कर के दायरे में 10 लाख तक की आय आ सकती है। अभी पांच लाख रुपये से अधिक की आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी कर देना पड़ता है। श्री जेटली 10 लाख रुपये से अधिक की आय वर्ग के करदाताओं को भी बड़ी राहत दे सकते हैं और 25 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी कर का प्रावधान कर सकते हैं। इसके साथ ही सरकार आयकर कानून की धारा 80सी के तहत निवेश की सीमा को डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर सकती है जिससे व्यक्तिगत करदाताओं को वार्षिक ढाई हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक की बचत होगी।
विश्लेषकों का कहना है कि इसी तरह से सरकार कॉर्पोरेट कर की दर 25 फीसदी से कम कर सकती है क्योंकि कर में दी गयी छूटों को वह तर्कसंगत बना रही है। इसी तरह से न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) भी 18.5 प्रतिशत से कम कर 15 प्रतिशत किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर, रियलटी आदि क्षेत्रों से जुड़ी कुछ नीतिगत घोषणायें बजट में की जा सकती हैं। इसका असर अप्रत्यक्ष कर पर भी पड़ सकता है। सरकार सेवा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे सकती है क्योंकि इस क्षेत्र में सुधार दिख रहा है। बजट में डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने के भी उपाय किये जा सकते हैं। आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए विनिर्माण में तेजी लाने पर भी सरकार जोर दे सकती है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ ही रोजगार प्रदान करने वाले बड़े क्षेत्र भी हैं।
सरकारी व्यय और राजस्व घाटा के बीच संतुलन के उद्देश्य से श्री जेटली अगले वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों में विनिवेश से एक लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रख सकते हैं। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 72,500 करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था। इसमें 46,500 करोड़ रुपये सरकारी उपक्रमों के विनिवेश से और 15,000 करोड़ रुपये रणनीतिक विनिवेश से जुटाये जाने थे। इसमें 22 जनवरी तक 55,560 करोड़ रुपये जुटाये जा चुके हैं।
शेखर अजीत
वार्ता
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