बिजनेसPosted at: Mar 14 2018 5:00PM रिपोर्ट की लेखिका तथा विश्व बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री पूनम गुप्ता ने कहा कि हालिया आर्थिक आँकड़ों से सकारात्मक संकेत मिलते हैं। अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पहले की तरह अब कच्चे तेल पर आश्रित नहीं है और साथ ही कच्चे तेल की कीमत में अगले एक साल तक बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।उन्होंने कहा कि आठ प्रतिशत या इससे भी ज्यादा की विकास दर भी हासिल की जा सकती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि निर्यात को गति दी जाये और वैश्विक स्तर पर भी परिस्थितियाँ अनुकूल बनी रहें। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पावधि में वित्तीय बाजारों में तरलता कम हो सकती है और जोखिम उठाने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। निवेश, निर्यात और ऋण उठाव नहीं बढ़ने पर भी चिंता जताई गयी है। हालिया आँकड़ों के बारे में कहा गया है कि मुद्रास्फीति घटी है, वित्तीय घाटे का लक्ष्य बढ़ाने के बाद भी वित्तीय अनुशासन मजबूत है, भुगतान संतुलन में स्थिरता है और बड़े आर्थिक पैमानों पर स्थिरता पहले से बेहतर हुई है। श्रीमती गुप्ता ने कहा कि भारत अपने-आप में एक महादेश की तरह है। इसकी अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी है कि घरेलू उपभोग लंबे समय तक अर्थव्यवस्था को गति देने में सक्षम है। अजीत अर्चनावार्ता