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बिजनेस


खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने कहा कि जो हमारे देश के लिए चुनौती है वह दूसरे देशों के लिए अवसर हो सकता है। भारत कई तरह के अनाजों के साथ दूध, फलों, सब्जियों, माँस और समुद्री खाद्य उत्पादन में शीर्ष पर है। सबससे बड़ी समस्या यह है कि खेतों में तैयार होने के बाद परिवहन, भंडारण, कोल्ड चेन और प्रसंस्करण की सुविधाओं के अभाव में इनका बड़ा हिस्सा नष्ट हो जाता है। देश में करीब 10 प्रतिशत वस्तुओं का ही प्रसंस्करण हो पाता है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की कमी होती जा रही है और जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए चुनौती पैदा कर रहा है। भूजल का स्तर लगातार कम हो रहा है। औद्योगीकरण के कारण आने वाले समय में पानी की माँग में और वृद्धि होगी।
श्रीमती बादल ने कहा कि उनका मंत्रालय दूरदराज के क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण के लिए आधारभूत ढाँचा विकसित कर रहा है। अनेक स्थानों पर मेगा फूड पार्क, कोल्ड चेन और अन्य संस्थान स्थापित किये जा रहे हैं जिससे न केवल किसानों को फायदा हो रहा है बल्कि लोगों को रोजगार भी मिल रहे हैं।
अरुण अजीत
वार्ता
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