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बिजनेस


श्री सिंह ने कहा कि यह पुरस्कार द्वितीयक इस्पात उद्योग को एक प्रकार की मान्यता है जिसकी इस्पात उत्पादन में 57 प्रतिशत हिस्सेदारी है। देश की इस्पात उत्पादन क्षमता वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 30 करोड़ टन सालाना करने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें द्वितीयक इस्पात क्षेत्र का योगदान 70 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। अभी देश में हर साल 13.4 करोड़ टन इस्पात का उत्पादन होता है।
उन्होंने कहा कि उत्पादन करीब 17 करोड़ टन बढ़ाने के लिए 12 साल में 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी। इसमें मुख्य रूप से मशीनरी और प्रौद्योगिकी पर खर्च करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि अक्टूबर में ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में इस्पात पर मेगा कॉन्क्लेव होने वाला है। इसमें सरकार अंतर्राष्ट्रीय मशीनरी निर्माताओं को भारत में ही मशीनरी बनाने के लिए आकर्षित करने का प्रयास करेगी।
मंत्री ने इस्पात उद्योग से संयंत्रों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की अपील करते हुये कहा कि उन्हें अपना उत्सर्जन, कूड़ा और नुकसान शून्य करने की दिशा में बढ़ना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पानी और ऊर्जा की खपत तथा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना चाहिये।
उन्होंने इस उद्योग में पिछले कुछ दिनों में ठहराव के बारे में कहा कि कुछ चीजें राज्यों से जुड़ी हैं - जैसे, बिजली की पर्याप्त आपूर्ति। इसके अलावा रेलवे के पास माल ढुलाई के लिए रैकों की भारी कमी के कारण इस्पात क्षेत्र को कच्चे माल की आपूर्ति बाधित हो रही है। इस क्षेत्र के लिए जरूरी कच्चे माल रेल मार्ग से ही लाये-ले जाये जा सकते हैं।
अजीत/शेखर
वार्ता
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25 Apr 2024 | 6:51 PM

गुरूग्राम, 25 अप्रैल (वार्ता) अस्पताल श्रृंखला कंपनी पारस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गुरुग्राम में 2006 में 300 बिस्तरों के लिए प्रस्तावित नए अस्पताल के लिए आज भूमि पूजन किया।

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