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बिजनेस


श्रीमती वर्मा ने बताया कि पारंपरिक रूप से सिर्फ बौद्ध स्थल ही चीनी पर्यटकों को लुभाते रहे हैं, लेकिन अब आयुर्वेदिक उपचार और योग उनके लिए नये आकर्षण केंद्र साबित हो रहे हैं। अब उनके लिए चीनी भाषा, उनकी संस्कृति और व्यंजन पर भी ध्यान दिया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि भारत आने वाले चीनी यात्रियों को उनके अनुसार बुनियादी सुविधाएँ मिल सकें।
उन्होंने बताया कि चीन में रोड शो करने के अलावा वहाँ की जनसंपर्क एजेंसी की मदद से उनकी वेबसाइटों, उनकी सोशल मीडिया साइट आदि को भारतीय पर्यटन स्थलों के प्रचार-प्रसार में इस्तेमाल किया जा रहा है। चीनी भाषाओं में विज्ञापन भी तैयार किये जा रहे हैं।
श्री अल्फोंस ने कहा कि चीनी पर्यटकों के भारत कम आने के पीछे कोई विशेष कारण नहीं है, सिर्फ इतना है कि पारंपरिक रूप से उनकी संख्या कम रही है। चीन के साथ वायु, जल और सड़क मार्ग से काफी संपर्क सुविधा है। हम चीनी बोलने वाले दुभाषियों तथा पर्यटक गाइडों की संख्या भी बढ़ा रहे हैं।
अजीत अर्चना
वार्ता
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