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सर्वेक्षण में शामिल देशों के व्यस्कों तथा युवाओं को सबसे अधिक सुरक्षा की चिंता है। स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर व्यस्कों को सबसे कम चिंतायें हैं। युवाओं को सबसे कम चिंता खराब बुनियादी ढांचे, पारिवारिक मुद्दे, प्रेम एवं संबंध तथा आव्रजन को लेकर है। भारत में सबसे अधिक (44 प्रतिशत) युवाओं को बेरोजगारी की चिंता है। बेरोजगारी को लेकर दुनिया में सबसे अधिक परेशान फ्रांस (49 प्रतिशत) के युवा हैं जबकि केन्या के मात्र सात प्रतिशत युवाओं को यह चिंता सताती है। भारत में युवाओं की परेशानी का सबब सुरक्षा, शिक्षा और पर्यावरण भी है।
चीन के 92 फीसदी युवाओं का मानना है कि उनकी पीढ़ी पहले की पीढ़ी से अधिक अच्छा जीवन जी रही है। भारत के 75 फीसदी युवाओं का यह मानना है। भारतीय युवा सबसे अधिक खुश अपने परिवार तथा दोस्तों के साथ रिश्तों को लेकर हैं। स्वीडन के युवाओं को अपने परिवार और दोस्तों के साथ संबंधों को सबसे कम खुशी है जबकि मेक्सिको के युवा इस मामले में सबसे आगे हैं। भारत में 41 फीसदी युवाओं का मानना है कि परिवार और दोस्तों का जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस मामले में ब्रिटेन के युवा (70 प्रतिशत) सबसे आगे हैं जबकि केन्या में सबसे कम (30 फीसदी) हैं। जीवन पर धर्म के सकारात्मक प्रभाव को सबसे अधिक इंडोनेशिया(30 प्रतिशत) के युवा मानते हैं।
भारत के 35 प्रतिशत युवा जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण को जीवन पर सबसे नकारात्मक प्रभाव डालने वाला मानते हैं। भारतीय युवा को इसके अलावा इंटरनेट,सोशल मीडिया,सरकार या नेता तथा पारिवारिक पृष्ठभूमि का प्रभाव भी नकारात्मक मानते हैं। भारतीय युवाओं को सबसे अधिक पसंद डॉक्टरी और शिक्षक का पेशा तथा व्यस्कों को सबसे अच्छा प्रशासक बनना या कारोबार लगता है और शिक्षक बनना उनकी दूसरी पसंद है। भारत के व्यस्क सबसे अधिक समय घर के कामकाज और परिवार की देखभाल में लगाते हैं।
राजनीतिक जागरुकता सबसे अधिक भारतीय व्यस्कों (62 प्रतिशत) और भारतीय युवाओं (55 प्रतिशत) में है जबकि फ्रांस के व्यस्कों (32 प्रतिशत) और नाइजीरिया तथा फ्रांस के युवाओं(21 प्रतिशत) को राजनीति और सरकार की सबसे कम जानकारी है। भारत और सऊदी अरब में 55 प्रतिशत व्यस्कों का मानना है कि उनके जनप्रतिनिधि उनका ध्यान रखते हैं जबकि ब्राजील के मात्र 10 प्रतिशत व्यस्कों का मानना है कि उनके राजनीतिक प्रतिनिधि उनकी परवाह करते हैं। सऊदी अरब के युवाओं (63 प्रतिशत) इस मामले में सबसे अधिक सकारात्मक सोच रखते हैं। दूसरे स्थान पर भारतीय युवा (56 प्रतिशत)हैं।
अपने देश में मानवाधिकार को लेकर सबसे अधिक उम्मीद से भरे भारतीय व्यस्क (80 प्रतिशत ) हैं जबकि रूस के मात्र 39 फीसदी व्यस्कों का यह मानना है। अमेरिकी युवा इस बारे में अपने देश के प्रति सबसे अच्छी राय रखते हैं। अमेरिका के 78 फीसदी और भारत के 77 फीसदी युवा अपने देश में मानवाधिकार के पालन से संतुष्ट हैं।
सर्वेक्षण में शामिल देशों के युवाओं का मानना है कि नेताओं को शिक्षा की स्थिति बेहतर करने पर सबसे अधिक जोर देना चाहिये। इसके बाद उनके लिये सबसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे गरीबी उन्मूलन, नौकरी तक पहुंच, स्वास्थ्य प्रणाली में बेहतरी और संघर्ष की स्थिति खत्म करना है। सर्वेक्षण में शामिल व्यस्कों और युवाओं के लिये सबसे अधिक स्वास्थ्य संबंधी चिंता कैंसर की बीमारी को लेकर है। भारत में मधुमेह भी चिंता का कारण है। बड़ी बीमारियों के इलाज के केंद्र तक व्यस्कों की पहुंच के मामले में सबसे अधिक पिछड़ी हालत भारत की है। बर्थ कंट्रोल के मामले में भारत में व्यस्कों और केन्या में युवाओं की पहुंच सबसे कम है।
भारत में सबसे अधिक 76 प्रतिशत व्यस्कों और युवाओं का मानना है कि पुरूषों और लड़कों की जिंदगी महिलाओं और लडकियों की अपेक्षा बेहतर है। लैंगिक समानता के मामले में सबसे अधिक अव्वल रूस के व्यस्क और युवा हैं।
अर्चना/शेखर
वार्ता
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